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________________ इस सत्र जैन - गौरव स्मृतियाँ ★ पार्श्वनाथजी का भव्य जिनालय है । सिद्धवरकूट:---- यह जैनियों का बहुत प्राचीन तीर्थ है । कारंजा :---- यह अमरावती जिले में मूर्तिजापुर स्टेशन से करीब २१ मील के फासले पर प्राचीन तीर्थ है। यहाँ तीन बड़े २ जिनमंदिर हैं। यहां एक मन्दिर में २१ प्रतिमाएँ चांदी की, ४ स्वर्ण की, १ हीरे की, १ मूँगे की, एक पन्न की; ४ चार गरुड़मणि की कही जाती हैं। यहां ताड़पत्रीय और दूसरे ग्रन्थों के भण्डार हैं । सिद्धक्ष ेत्र-द्रोणागिरी:---- सेंदप्पा ग्राम ( जिला नया गांव छावनी ) में द्रोणागिरी पर्वत है । यहां २४ मंदिर हैं मूलनायक आदिनाथजी हैं । सिद्धक्ष ेत्र श्रमणाचल (सोनागिरी ):---- जी. आई. पी. रेल्वे के आगरा-झांसी लाइन में सोनागिर स्टेशन है । वहां श्रमणाचल पर्वत हैं । इस पर विशाल मंदिर है । मूलनायक चन्द्रप्रभ हैं प्रतिभा ७|| फीट ऊँची मनोज्ञ खड्गासन से विराजमान हैं । श्री क्ष ेत्र बाहुरी बंदः ---- ( श्री शांतिनाथ महाराज ) सिहोरा तहसील में सिहोरा स्टेशन रोड से १८ मील पर यह तीर्थ हैं । यहाँ शान्तिनाथजी की बहुत बड़ी मूर्ति १२ फीट की अतिप्राचीन है । अमरावती, नागपुर, जबलपुर, कटनी, सीवनी, येवतमाल, चांदा, हींगनघाट, वर्धा आदि अनेक स्थानों पर भव्य जिनमन्दिर हैं । कुलपाक:-.. ( माणिक स्वामी ) -- निजाम राज्य में कुलपाक ग्राम में देवविमान के आकार का भव्य शिखर बंध मन्दिर है । इसमें मूर्ति भव्य और श्याम है । आदिनाथ प्रभु की नील रत्नमय-मारक की मूर्ति मूलनायक के रूप में X(kos);
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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