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________________ M eek जैन-गौरव-स्मृतियाँ SSS अहमदाबाद यद्यपि यह कोई तीर्थस्थान नहीं है तदपि यहाँ सैकड़ों जिनमन्दिर, ज्ञानभण्डार, उपाश्रय आदि होने के कारण तथा जैनियों की अधिक प्रभुत्वसम्पन्न वस्ती होने के कारण यह जैनपुरी कही जाती है । यहाँ प्रसिद्ध सेठ शांतिदास हुए हैं जिन्होंने मुगलों के समय में भी अपने प्रभाव से धर्म और तीर्थों की रक्षा की । अहमदाबाद को मराठों के आक्रमण से इनके वंशजों ने ही बचाया था । इनके वंशजों की सेवा जैनसमाज में प्रसिद्ध है। यहाँ सेठ हीसिह केसरीसिंह का मन्दिर सब से बड़ा, भव्य और रमणीय है। इसमें मूलनायक श्री धर्मनाथस्वामी है। यह बावन जिनालय वाला मन्दिर है । मन्दिर की कारीगरी आबू के ढंगपर सूक्ष्म कलापूर्ण कोराई-खुदाई. भव्यता और स्वच्छता अत्यन्त मनोहारी और आकर्षक है। सं० १८४८ में यह बनाया गया है। इसके सिवाय भाभापर्श्वनाथ, जगवल्लभपार्श्वनाथ, चिन्तामणिपार्श्वनाथ, सम्मेतशिखर और अष्टापद जी के मन्दिर दर्शनीय है। राजपरा में चिन्तामणि पार्श्वनाथ का भव्य मन्दिर है। प्रतिमा सुन्दर, श्याम और विशाल है । सम्प्रति राजा के समय की प्राचीन मूर्ति है। रीचीरोड़, झवेरीवाड़ा, दोशीवाड़ा और शिखर जी की की पोल में भव्य मन्दिर हैं । यहाँ १३ ज्ञान भण्डार है। अनेक लोकोपयोगी जैनसार्वजनिक संस्थाएं हैं। यहाँ की मस्जिदों में जैनमन्दिरों का बहुतसा सामान काम में लाया गया है । अहमदशाह की मस्जिद में जैनगुम्बज है। सय्यदआलम की मस्जिद में भी जैनमन्दिरों के स्तम्भ हैं । __ नरोड़ा :-भोयणी, पानसर, मेरिसा, वामज, भिलड़िया, रामसेन जसाली आदि स्थानों में भी दर्शनीय प्राचीन जैनमन्दिर है। तारंगा-गिरि:--- ___ यहाँ से अनेक उच्चकोटि आत्माओं ने निर्माण प्राप्त किया है अतएव यह अत्यन्त पवित्र तीर्थ है । श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों ही इसको पवित्र भूमि मानते हैं। दोनों परस्पराओं में इस तीर्थ का बड़ा महात्म्य है। यह तीर्थ म्हेसाणा स्टेशन से ३५ मील दूर आये हुए टिम्बाग्राम की टेकरी पर है। जव शत्रुजय गिरीराज की तलहटी वड़नगर (अानन्दपुर)
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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