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________________ kak kake जैन-गौरव-स्मृतियाँkakkeysiksi पूर्वक महोत्सव मनाया गया। भयंकर मुसलमानी शासन काल में धर्मवीर . समराशाह ने इस महान् तीर्थ का पुनरुद्धार कर जैनशासन की महती प्रभावना की है। सं० १३७५ में देशलशाह ने पुनः इस तीर्थ की यात्रा की थी। सं० १३७३ में समराशाह का स्वर्गवास हुआ। कर्माशाह का सोलहवाँ उद्धारः-- __समराशाह के उद्धार के कुछ वर्षों बाद मुसलमानों ने शत्रुजय' पर.. पुनः आक्रमण किया और समराशाह की स्थापित की हुई मूर्ति का फिर शिरोभंग कर दिया । तदन्तर बहुत दिनों तक वह मूर्ति वैसे ही खण्डित रूप में .. पूजित रही । मुसलमानों ने नवीन मूर्ति की स्थापना न करने दी। कई वर्षों . तक ऐसी ही नादिरशाही चलती रही और जैनप्रजा मन ही मन अपने . पवित्र तीर्थ की दुर्दशा पर आँसू बहाती रही। .. सोलहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में चित्तौड़ की वीरभूमि में. कर्माशाह नाम के कर्मवीर श्रावक का अवतार हुआ, जिसने अपने उग्रवीर्य से इस तीर्थाधिराज का पुनरुद्धार किया। र किया कर्माशाह ग्वालियर के राजा आस-जिसे बप्पभट्टसरि ने जैनधर्मानुयायी बनाया था--के वंशज थे। राजा आम की एक रानी वणिक पुत्री थी। उस से जो सन्तान हुई वह सब ओसवंश में मिला ली गई थीं। उनका गोत्र राज. . कोष्ठागार के नाम से प्रसिद्ध हुआ । इसी कुल में आगे चलकर सारणदेव प्रसिद्ध पुरुष हुए। इनकी ८ वी पुश्त में तोलाशाह हुए। इनकी लीलू नामक .स्त्री से ६ पुत्र हुए जिन में सब से छोटे कर्माशाह थे। . .. .. इनका राज दरवार में बड़ा सन्मान था। किसी समय धर्मारमसूरि विहार करते हुए चित्तौड़ पधारे । उस समय तोलाशाह ने अपने पुत्र कर्माशाह की उपस्थिति में सूरि श्री से शत्रुजय तीर्थ के उद्धार के सम्बन्ध में .. पूछा । सूरिजी ने अपने निमित्त ज्ञान से कहा कि आपके पुत्र कर्माशाह के द्वारा यह कार्य सम्पन्न होगा। हुआ भी ऐसा ही । कर्माशाह ने अपने उत्तरोत्तर बढ़ते हुए प्रभाव का उपयोग कर अहमदाबाद के सूबेदार बहादुरशाह के साथ मैत्री स्थापित की और उसका कुछ उपकार भी किया । बहादुरशाह ने इसके मदले में उन्हें कुछ कार्य हो तो सूचित करने के लिये रहा। धर्मपरायण ARRRRRRRRREE (४६६) ARRERA
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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