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________________ * जैन गौरव-स्मृतियाँ . महान् सुधारक होने के साथ ही साथ ये आचार्य महान् । साहित्यनिर्माता हुए हैं। जैनसाहित्य को समृद्ध बनाने में इनका उल्लेखनीय योग रहा है । संस्कृत और प्राकृत भाषा में तत्वज्ञान, दर्शनशास्त्र कथासाहित्य, और विविध विषयक तलस्पर्शी विवेचन करने वाले दो चार ग्रन्थ ही नहीं लिखे किन्तु १४४४ प्रकरणों के कर्ता के रूप में आपकी सर्वविश्रुत प्रसिद्ध है । इन आचार्य की साहित्यिक कृतियाँ इस प्रकार हैं। आगमिक कृतियाँ :- १ अनुयोगद्वार वृत्ति, २ नन्दी लघुवृत्ति, ३ प्रज्ञापनासूत्र-व्याख्या, ४ आवश्यक लघुटीका ५ आवश्यक वृहत्टीका, ६ अोधनियुक्ति वृत्ति, ७ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति टीका, ८ जम्बूद्वीप संग्रहणी, जीवा भिगम लघु वृत्ति, १० तत्वार्थ-सूत्र लघु वृत्ति, ११ पंच नियंठी, १२ दशवैकालिक लवुवृत्ति, ३ दशवैकालिक-बृहत् वृत्ति, १४ नन्यध्ययन टीका, १५ पिण्डनियु क्ति वृत्ति, १६ प्रज्ञापना प्रदेश-व्याख्या । - दार्शनिक कृतियाँ :-१७ अनेकान्त जय पताका सटीक, १८ अनेकान्त वाद प्रवेश, १८ न्यायप्रवेश ( दिङ नाग ) टीका, २० पड्दर्शन समुच्चय, २१ शास्त्र वार्ता समुञ्चय २२ अनेकान्त प्रघट्ट ( अनुपलब्ध ) २३ तत्वतरंगिणी, २४ त्रिभंगीसार, २५ न्यायावतार वृत्ति, २६ पञ्चलिंगी, २७ द्विजवदन चपेटा, २८ परलोकसिद्धि, २६ वेद-बाधता निराकरण, ३० पड्दर्शनी, ३१ सर्वज्ञसिद्धि ३२ स्याद्वाद कुचोद्य परिहार, ३३ धर्मसंग्रहणी, ३४ लोकतत्वनिर्णय । योगसम्बन्धी कृतियाँ :- (३५) योगदृष्टि समुच्चय (३६) योगबिन्दु ( ३७ ) योग-शतक, ३८ योगविंशति, ३६ पोडशक ! चरित्र कथा :-४० समराइच्च कहा, ४१ मुनिपति चरित्र, ४१ यशो धर चरि ४३ वीरांगद कया, ४४ कथाकोश, ४५ नेमिनाथ चरित, ४६ धर्ना ल्यान ।भूगोल :-४७ लोक बिन्दु ४७ क्षेत्रसमास वृत्ति । प्रकरण :-४६ अष्टक प्रकरण, ५० उपदेश प्रकरण, ५१ धर्म विन्द प्रकरण, ५२ पंचाशक, ५३ पंच वस्तु सटीक, ५४ पंचसूत्र टीका, ५५ श्रावक प्रक्षति, ५६ अर्हन् श्री चुडामणि, ५७ उपदेश पद, ५८ कर्मस्तव वृत्ति, ५६ कुल कानि, ६. जमावल्ली बीजम, ६१ पेत्य वन्दन भाप्य, ६२ चैत्यवन्दन वृत्ति kakutekeletaks(४१३) Kokeletonatelete
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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