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________________ SMSe* जैन-गौरव-स्मृतियां RSS MARATRAMANANPATHANNERNMENT + फौज से मैं निपट लूँगा।" राव जोधाजी के साथ अपने पुत्र नरोजी को ५० सिपाही देकर रवाना कर दिया। राव जोधाजी नरोजी के साथ मारवाड़ में मंडोर तक पहुँचे । परन्तु मण्डोर में भी राणा जी की फौज आ पहुंची। तब ये राव नरोजी भण्डारी के साथ थली प्रान्त के एक गाँव में जा छिपे और वही सैनिक तय्यारी की। ई० सन् १४५३ में मण्डोर पर आक्रमण कर दिया । राणा जी और जोधाजी की सेना के बोच घमासान युद्ध हुआ। विजय जोधाजी की ही रही । इस विजय में राव नरोजी का बहुत बड़ा हाथ था। वे जोधाजी के मुख्य सेनापति थे। राव जोधाजी ने इन्हें सात गाँव जागीरी में दिये तथा प्रधानमंत्री और दीीवन का पद प्रदान किया। इस प्रकार जोधपुर राज्य की स्थापना के मूल में ही इन जैनवीरों का हाथ रहा हुआ है। जोधपुर राज्य के विस्तार में इस भण्डारी परिवार का बड़ा भारी सहयोग रहा है । राव नरोजी के बाद भण्डारी नाथाजी, उदोजी, पन्नोजी, रायचन्दजी, ईसरदास जी, भाना जी आदि ने प्रधान पद पर बड़ी कुशलता के साथ कार्य किया । भण्डारियों के साथ २ सिंघवी और सणोत परिवारों का भी जोधपुर राज्य के विकास में बड़ा हाथ रहा है। जब विक्रम संवत् १६७७ में महाराजा गजसिंह जी को मुगल सम्राट द्वारा जालोर का परगना का प्राप्त हुआ तब मुणोत जयमल जी वहाँ के शासक बनाये गये । सं० १६७८ में सांचोर का परगना भी आप मुणोत जयमल जी ही के शासन में दिया गया । गुणोत जयमल जी बड़े कुशल शासक सिद्ध हुए। आपने राज्य की रक्षा के लिए कई लड़ाइयाँ लड़ी। आज बड़े उदार भी थे। सं० १६८७ के दुष्काल में आपने एक वर्ष तक समस्त जनता को अन्नदान दिया।
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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