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________________ जैनगौरव -स्मृतियां है । गति में सहायता करना और स्थान देना दो पृथक् २ बातें हैं जो मूल से ही भिन्न होने से दो द्रव्यों के अस्तित्व को प्रकट करती हैं। दूसरी बात, यह है कि आकाश द्रव्य तो लोक- अलोक में सर्वत्र है परन्तु गति तो लोकाकाश में ही होती है । यदि गति में सहायता देना आकाश का गुरण होता तो जीव और पुद्गल अलोकाकाश में भी जा सकते । परन्तु ऐसा होता नहीं है । लोक में ही जीव और पुद्गल की गति होती है अतः आकाश का यह गुण नहीं हो सकता है। इसलिए धर्मद्रव्य की आवश्यकता है । यदि कोई यह कहे कि ही गति का कारण है तो यह भी युक्तिरहित है । क्योंकि जीव जो शुभाशुभ कर्म करता है उसके फल के रूप में ही की कल्पना है । वह पुद्गलों की गति का कारण कैसे हो सकता है ? अतः जीव और पुद्गलों की गति का कोई एक सर्व सामान्य आश्रय होना चाहिए। यह धर्मद्रव्य ही हो सकता है । अतः धर्मास्तिकाय की द्रव्यता प्रमाण से प्रमाणित होती है । आधुनिक वैज्ञानिकों ने भी गति और स्थिति के सिद्धान्त को स्वीकार किया है। पहले जैनो आदि दार्शनिक धर्म (Principle of motion) को स्वीकार नहीं करते थे परन्तु इसके बाद न्यूटन जैसे विद्वानों ने गति तत्व का सिद्धान्त स्थापित किया | वैज्ञानिकों ने ईथर जैसा लोकव्यापी पदार्थ माना है. इसका आधार यही धर्मद्रव्य हो सकता है । 1 धर्मास्तिकाय जीव और पुद्गलों की स्थिति में जो सहायता करता है वह अधर्म द्रव्य है । यह भी लोकाकाश व्यापी, अमूर्त, असंख्य प्रदेशी और निष्क्रिय द्रव्य है । यह द्रव्य स्थितिशील पदार्थों की स्थिति में सहायक होता है किन्तु गतिशील जीव या पदार्थों को स्थित करना इसका कार्य नहीं है । यह स्थिति का उदासीन कारण है । जैसे वृक्ष की छाया पथिक को विश्राम करने में सहायक होती है इसी तरह अधर्म द्रव्य पदार्थ और जीव की स्थिति का एक बहिरंग कारण है । सब जीव और पौद्गनिक पदार्थों की स्थिति किसी एक साधारण वाह्य निमित्त की अपेक्षा रखती है क्योंकि ये सब जीव और पुद्गल एक साथ स्थितिशील दिखाई देते हैं। जैसे एक कुण्डे में अनेक बेरों की युगपत् स्थिति देख कर उस रिथिति के साधारण निमित्त रूप कुण्डे का अनुमान } C
SR No.010499
Book TitleJain Gaurav Smrutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmal Jain, Basantilal Nalvaya
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1951
Total Pages775
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size44 MB
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