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________________ क्या आप स्थानकवासी जैन हो ? " के ग्राहक हो ? यदि ग्राहक न हो तो शीघ्र ही ग्राहक बन जाइए । क्या आप " जैन प्रकाश वार्षिक लवाजम मात्र रु. ३) मासिक मात्र चार आने में भारत भर के स्थानकवासी समाज के समाचार आप को आपके घर पर पहुंचाता है । तदुपरांत सामाजिक, धार्मिक और राष्ट्रीय प्रश्नों की विशद विचारणा, और मननपूर्वक लेख, जैन जगत्, देश-विदेश और उपयोगी चर्चा रजु करता है । ' जैन प्रकाश ' श्री अखिल भारतवर्षीय श्वे० स्था० जैन कॉन्फरेन्स का मुख्य पत्र है । प्रत्येक स्थानकवासी जैन को 'जैन प्रकाश ' के ग्राहक अवश्य होना चाहिये | हिन्दी और गुजराती भाषा के परस्पर अभ्यास से दो प्रान्त का भेद मिटाने का महा प्रयास स्वरूप 'जैन प्रकाश को शीघ्र ही अपना लेना चीये , " शीघ्र ही ग्राहक होने के लिये नाम लिखाओ श्री जैन प्रकाश ऑफिस ९, भांगवाडी कालवादेवी, वम्बई २
SR No.010496
Book TitleAgam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyamal Maharaj
PublisherSthanakvasi Jain Conference
Publication Year1993
Total Pages237
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashvaikalik
File Size8 MB
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