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________________ ८६० मद्रास प्रान्त | बड़ा मन्दिर प्रसिद्ध है उसमें एक मण्डपकी भींतपर शिलालेख पायाजाता है उससे मालूम होता है कि 'मन्नाई पोनडाई' की लड़की श्री 'नल्लाटाने' उस पहाड़पर शक सं० १२६८ में जब उपर्युक्त राजाके हाथमें राज्य - प्रवन्ध था । तब एक 'बिहार - नैनार' नामक मंदिर बनवाया और उसमें श्रीपार्श्वनाथ महाराजकी स्थापना की थी । पर्वत पर प्रसिद्ध जैन कवि श्री 'एलाचार्य' महाराजकी चरणपादुकाएं हैं । इनके ग्रंथोंमें से एक 'तिरुक्कुरुक नामक' ( तामील भाषा में लिखा हुआ ) ग्रंथ है, 'जिसपर सकल aar लोग इसपर अपना हक्क साबित करते हैं' कविताका अच्छा नमूना है । हर रविवारको पहाड़पर उनके स्मर्णार्थ यात्रा होती है, जिसमें करीब ५०० आदमी एकत्रित होते हैं । पूजन प्रक्षाल आदिका प्रबंध 'पोन्दुर' ग्राम के पञ्चोके हाथमें है । ग्राम दिगम्बर जैनियोंके गृह ७१ हैं और मनुष्य संख्या करीब २७५ है । एक मन्दिर शिखरबन्द है तथा जैन यात्रियोंको ठहरनेके लिये एक क्षेत्र ( धर्मशाला ) है जिसमें अन्नदान दिया जाता हैं उस क्षेत्रकी इमारत में एक जैन पाठशाला है जिसमें करीव ३० विद्यार्थी संस्कृत पढ़ते हैं | पं० 'सोमप्रभ नैनार' बड़े विद्वान हैं, आप विद्यार्थियोंको विद्यादान मुफ्त देते हैं। ग्राम पहाड़की तलेटीमें होने से आब हवा अच्छी है। बेंगलोर । मैसूर राज्य में जिलेका सदर स्थान और मैसूर राज्यका सदर स्थान सदर्न मरहटा रेल्वेका जंक्शन बंगलोर शहर है । शहरके स्टेशनसे ३ मील पूर्व फौजी छावनीका रेल्वे स्टेशन है। स्टेशनसे शहर तक सवारी हर तरहकी मिलती है, शहरमें कई धर्मशालाएँ हैं, इनमेंसे एक धर्मशाला जिसको थोप्पाहचट्टीकी चोलतर कहते हैं शहरके स्टेशन से २०० गजके फासलेपर ही है और एक छावनीके स्टेशसनसे आध फर्लांग के फासलेपर है | अर्थात् किलेके सहित बंगलोर शहर दो हिस्सों में बटा हुआ है एक भाग पेटा ( पुरानी बस्ती ) दूसरा भाग छावनी । बंगलोरकी मनुष्य संख्या एक लाख अस्सी हजारके लगभग है मनुष्यगणना के अनुसार मैसूर राज्य में पहला शहर है, जैनी अनुमान ४०० हैं । इन दि० जैनियोंके पंचम सैतवालोंके २७ घरोंकी मनुष्यसंख्या १६८ है, प्रायः सबही आदत साहुकारी आदि धंदा करते हैं, शहरमें एक दि० जैनमंदिर और जैनधर्मशाला भी है। पं० धरणेंद्रके पास प्राचीन जैनग्रंथोंका भण्डार है । "देखने योग्य स्थान ये हैं:-मैसूर नरेशका सुन्दर महल इसको खास आज्ञा मिलनेपर ही देख सकते हैं । बंगलोरकी छावनी यह दक्षिणभारत में बड़ी छावनी है । सर्कारी आफिस, बाजार, कई सुंदर मंदिर, और मस्जिदें, मकान, गिर्जा, कालेज, गवर्नमेंट हौस, रेल्वेस्टेशनसे
SR No.010495
Book TitleBharatvarshiya Jain Digambar Directory
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakurdas Bhagavandas Johari
PublisherThakurdas Bhagavandas Johari
Publication Year1914
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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