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________________ पंजाब | ५६१ क्लव, बैंक, कचहरियां अंग्रेजी दूकान और वाहिरके चारों ओरका उत्तम दृश्य देखने योग्य है । यहांकी मनुष्यसंख्या अनुमान १५ हजार है, अग्रवालोंके १० घरोंकी मनुष्यसंख्या ३५ है । और एक जैनधर्मशाला भी है । सुनपत । यह शहर दिल्ली जिले में दिल्लीसे वायव्यकोनमें २५ मीलके फासलेपर (E. I. Ry . ) लेनपर स्टेशन है । रटेशनसे २ मील शहरकी आबादी है, जिसमें दिगम्बर जैनियोंके गृह अनुमान २०० हैं, जिनमें १००० अग्रवाल हैं। यहां पर दि० जैनमन्दिर ४ हैं । इनमें एक मन्दिर बहुत बड़ा उतंग शिखरबंद है, जिसमें तीन वेदियां हैं, तथा दो मन्दिर शिखरवन्द और १ चैत्यालय भी है । मंदिरोंमें धर्मशास्त्र ३२६ हैं । सभा, पाठशाला और धर्मशाला पंचायती वड़े मन्दिर में हैं । और एक चतुर्विधि दानशाला भी हैं, सभामें यहां पर पंडित 'उमरावसिंहजी' धर्मोपदेश देते हैं । सब मन्दिरों में पूजन प्रक्षाल यथासमय प्रति दिन होती हैं । हिसार । हिसार नगर यमुना नहरके तटपर दिल्लीसे ४२ मील तथा लाहौरसे २०० मीलकी दूरीपर ( R. AM. R. ) लेन में स्टेशन है। जिलेका सदरस्थान है, नये कस्बेसे उत्तर पुराने कस्बेकी जगह हैं । पहिले यहांपर भारी वस्ती थी और इसके पहिले जैनियोंने वसाया था, बसानेवालोंकी संतानमंसे लाला 'जुगलकिशोरजी' अग्रवाल जैन अब भी हैं। रेलवे स्टेशनके साम्हनेही एक धर्मशाला है । 'अग्रोहा' ग्राम जहांसे अग्रवाल जातिकी उत्पत्ति है हिसार शहरसे १४ मील है, राजा 'उग्रसेन' जीके महलोंके खंडहर अब तक मौजूद परन्तु इस समय इस अग्रोहा ग्राममें जैनी कोई नहीं है केवल वैष्णव अग्रवाल अब भी अधिक हैं । और सारे हरियाना खण्डमें बड़ा नगर था, परन्तु अब इसमें केवल १७६४७ आदमी बसते हैं | यहां पर दिगम्बर जैनियों के आबाद गृह ८० हैं, जिनमें ३५४ लोग रहते हैं | और दो शिखरवन्द मन्दिर हैं, जिसमें १२५ धर्मशास्त्र हैं । पूजन प्रक्षाल आदि यथा समय होता है । जैनियोंके प्रसिद्ध कवि 'न्यामतविलास' के कर्त्ता लाला न्यायभूतसिंहजी' यहीं निवास करते हैं । शहरसे २ फलांगके फासलेपर जैन 'अनाथाश्रम' की एक पक्की कोठी लवं सड़क जो वांग में है उसमें है । इस कोठीका
SR No.010495
Book TitleBharatvarshiya Jain Digambar Directory
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakurdas Bhagavandas Johari
PublisherThakurdas Bhagavandas Johari
Publication Year1914
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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