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________________ मध्यप्रदेश। यह ३३५ की साल में पौष शुक्ल १५ को श्रवणसेन कनकसेनका बनाया हुआ है जिसका जीर्णोद्धार सं० १८८३ विक्रममें सेठ लखमीचंद मथुरावालोंने कराया था। भीतर श्रीचंद्रप्रभू स्वामीकी प्रतिमा लगभग ७॥ फुट ऊंची अत्यंत मनोज्ञ खगासन विराजमान है । इसमें एक शिलालेख है जिसकी नकल इस भाँति है। दोहरा-मन्दिरसह राजतभये चंद्रनाथ जिन ईस । पोश सुदी पूनम दिना तीन सतक पैंतीस । मूलसंघ अरगण करो बलात्कार समुझाय। श्रवणसेन अरु दूसरे कनकसेन दुइभाय । वीजक अक्षर वांचके कियोसु निश्चय राया और लिख्यो तो बहुत सो नहि परयो लखाय। द्वादश सतक रूतरा पुन्यीजीवनसार । पार्श्वनाथ चरणतरें तासों विदी विचार ॥ श्री। श्रीश्रमणचला चंद्रनाथ प्रत सर्व सक्देल प्रसिद्ध पाछित महाराजा दतियापति वाढे सदा फल फलै मनको मनीरामजी सोविहुं पितुकी आज्ञा पाय चपाराम सहकर यात्रा सुख पाय संवत अष्टादश कहे तेरासीकी साल लाला लक्ष्मीचंदने पहिरी श्री जिनमाल प्रथम कियो आरंभ उन मन्दिर जीर्णोद्धार श्रावक हिय हर्षित भये सब मिलकरी संभाल विजय कीर्ती जितसरके शिष्य कहे प्रभुसेव पुरन सुख्य भागिरथ जुगदेस परमेव । एक पत्थरपरभी कुछ अक्षर खुदे हुए हैं परन्तु पढने में नहीं आते । पहाड़की. प्रदक्षिणाका भी मार्ग है जो करीब तीन ३ मील है। जिसकी यात्रीलोग हमेशा परिक्रमा किया करते हैं। सहजपुर। सहजपुर एक बड़ा ग्राम सागर जिलामें मीरगंज (G. I. P. Ry.) स्टेशनसे करीव ३ तीन मील दूरीपर है । यहांकी जनसंख्या अनुमान १८०० की है जिसमें दिगम्बर जैनियोंकी संख्या १५० है । दिगम्बर आम्नायके २ शिखरवन्द मन्दिरजी तथा २ चैत्यालय हैं जिसमें करीव ३९ धर्मग्रंथ हैं। उक्त मन्दिरमेंसे १ मन्दिरजी प्राचीन १६ वीं शताब्दीका अधवना हुआ पड़ा है । और वहांके जैनी भाई बहुधा और
SR No.010495
Book TitleBharatvarshiya Jain Digambar Directory
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakurdas Bhagavandas Johari
PublisherThakurdas Bhagavandas Johari
Publication Year1914
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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