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________________ ३१९ मध्यप्रदेश। श्रीसिद्धक्षेत्र श्रमणाचल (सोनागिर)। नगा नङ्ग कुमार सुजान । पंच कोडि मुनि अर्द्ध प्रमाण ॥ मुक्ति गये सोनागिर शीस । ते बन्दू त्रिभुवन पति ईश ॥ यह परम पूज्य निर्वाणक्षेत्र वर्तमान ग्रेट इन्डियन पेनिन्शुला रेलवे(G. I. P. Ry.. 'के आगरासे झांसीलैनमें गवालियर और झांसीके वीचमें सोनागिरका स्टेशन है। स्टेशनके वाहरही दिगम्बर जैन धर्मशाला है जिसे २० वर्ष पहले स्वर्गीय रायवहादुर सेठ हरमुखराय अमोलकचन्द्रजी रानीवालोंने वनवाया था। अनुमान १२५ आदमी आरामसे ठहर सकते हैं। हायेके भीतर एक कुआ है । और १३ कोठरी हैं एक चौकीदार नौकर है । सोनागिरको जाते हुए धर्मशालासे थोड़ी दूर एक नाला वहता है जिसका पुल झालरापाटनके सेठ विनोदीरामजी वालचन्द्रजीने एक वर्ष पहले वनवाकर पशुओंका दुःख दूर किया है , स्टेशनसे सोनागिरका पहाड़ दृष्टिगोचर होता है तथा सर्व मन्दिर वरखूवी दिखाई देते हैं । स्टेशनसे पश्चिमकी तरफ सोनागिर २ मील है। यह क्षेत्र रियासत दतिया में है। दतियाका पूर्वनाम दिलीपनगर भी था ऐसा शिलालेखांसे विदित होता है। सोनागिर गांवमें ब्राम्हण पंडे लोगोंकी वस्ती विशेप है । दिगम्बर जैन गृहस्थीका गृह नहीं है। प्रत्येक धर्मशालामें पुजारी ही रहते हैं। स्थानीयसिर्फ भट्टारक हरेन्द्रभूषणजी रहते हैं। पर्वतके नीचे गांवमें १६ मन्दिरजी इस भॉति हैं : १ मन्दिरजी फतेचंदनीलश्करवालोंका-प्रबंधकर्ता गजा फूलचंदनी ठि० हीरालाल चुन्नीलाल सराफावजार लश्कर, आम्नाय १३ पंथी। पूजारी पन्नालाल खंडेलवाल है। यहां धर्मशाला भी है। प्रायः कुल भण्डार इसी मन्दिरमें आता है । (२) शेठ किसनलालकामन्दिर प्रवन्धकर्ता उदयलाल रतनलाल ठि०सराफा ग्वालियर। पुजारी वकसी गोलालारे। जो इस धर्मशालामें उतरते हैं तथा कहींसे इकट्टा भण्डार आता है उसका वरावर हिस्सा मिलता है। (३) प्यारेलालका मन्दिर-प्रवन्धकर्ता प्यारेलाल व्रजलाल सराफ ठि० तहसील मेहगुआं जिला ग्वालियर आम्नाय १३ पंथी। पूजारी भुजबल गोलालारे । धर्मशाला है। आमदनी वरावर हिस्सा है।
SR No.010495
Book TitleBharatvarshiya Jain Digambar Directory
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakurdas Bhagavandas Johari
PublisherThakurdas Bhagavandas Johari
Publication Year1914
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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