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________________ मध्यप्रदेश। ३१७ टाके अन्दर बने हुए हैं। रेहलीमें कुछ देशी कपड़ा अच्छा बनता है । और यहां गेहूं और गुड़ अन्य देशोंकोजाता है। लखनादोन। यह ग्राम तहसीलका सदर मुकाम और सिवनी-जबलपूर रोडमें सिवनीसे करीब ३८ मीलकी दूरीपर है । अगले जमानेमें यह वडा नगर था । और प्राचीन समयकी खण्डित प्रतिमाएँ भी पाई जाती हैं जो खेतरमाताजीके मन्दिरमें रक्खी हैं। यहाँपर हिंदुओंके और जौनयोंके कई मन्दिरजी टूटे फुटे दृष्टिगोचर होते हैं । एक शिलालेख भी मिला है उससे मालूम होता है कि यहांपर विक्रमसेन नामका एक जैनी राजा था और उसके समयका यह मन्दिरजी है। यहांपर जितने पत्थर वगैरह खोदपर निकाले जाते हैं उनमें बहुत पत्थरोंमें जैन और हिंदुओंकी मूर्तियां खण्डित निकलती हैं। १ प्रतिमा श्रीशान्तिनाथ स्वामीकी खड्गासन अनुमान ७ फुटकी यहांपर निकली थी अरसा करीब १० वर्षका हुआ नागपुर चीफ कमिश्नरीके अजायब घरको चली गई वा १ दरख्त इमलीका है वह · शान्तिनाथ स्वामीकी इमली करके प्रसिद्ध है। एक प्रतिमा श्रीपार्श्वनाथ स्वामीकी खड्गासन अनुमान ४ फूट ऊंची आम रस्तामें पड़ी हुई है देखनेसे जाहिर होता है कि चौथे कालकी है क्योंकि वीजक वगैरह कुछ नहीं है। यहांपर एक शिलालेख भी मिला है उससे मालूम होता है कि यह विक्रमसेन राजाका है और यह राजा जैनी था। यहांपर हालमें दिगम्बर जौनयोंके ३४ गृह हैं जिसमें मनुष्यसंख्या २०९ है और एक शिखरबन्द मन्दिरजी तथा २ चैत्यालय भी हैं । सब मिलकर यहांकी मनुष्यसंख्या अनुमान २१५० ह। यहां शुक्रवारको वड़ा बानार होता है जिसमें व्यापार हरतरहका होता है। वर्धा । यह शहर जिले वर्धाका सदरमुकाम है । १८६६ ईस्वी में यह शहर वर्धा नदीके किनारेपर बसा है। इसका पहिला नाम पालकवाड़ी था जो कि अभीतक
SR No.010495
Book TitleBharatvarshiya Jain Digambar Directory
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakurdas Bhagavandas Johari
PublisherThakurdas Bhagavandas Johari
Publication Year1914
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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