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________________ मध्यप्रदेश। . विराजमान है परन्तु प्रतिमा चूकी बनी हुई है इनके नीचे एक और प्रतिमाजी श्री चन्द्रप्रभु स्वामीजीकी पद्मासन पाषाणकी विराजमान है । आसनके लेखसे इस मन्दिरका निर्माणकाल तथा प्रतिष्ठाका काल १९वीं विक्रम शताब्दीके आरम्भमें विदित होता है। तीसरा मन्दिरजी छोटा परन्तु बहुत ऊंचा और गुमटीके आकारका है। इसके चारों ओरसे सीढियां ऊपर जानेको बनी हुई हैं जो यत्र तत्र भम हुई हैं। यहांपर बहुतसी प्रतिमाएँ खण्डित पडी हुई हैं और बहुतसी जहां तहां दीवालोंमें लगवा दी गई हैं और कोई विशेष इतिहास इस क्षेत्रके विषयमें ज्ञात नहीं है। यात्रार्थ आने जानेवाले भाइयोंको सागर ( वीना कटनी) लाईन यहा करेली (इटारसी, जबलपुर लाईन जी. आई. पी.,) रेलवे स्टेशनपर उतरना चाहिये । प्रत्येक स्टेशनपर सवारी-वैलगाडी, उंटगाडी, तांगा आदि-किरायपर मिल सकती हैं। करेली स्टेशनसे ४२ मील.और सागरसे.४८ मील पक्का रास्ता है । जो महाशय इस क्षेत्रके लिये वीना जंक्शन ( Bina Junction G. I. P.) का भ्रम करते हैं वे भूलते हैं । वीनाजंक्शन "वीना-इटावा" और वीनाजी अतिशयक्षेत्र "वीनावारओ" के नामसे प्रसिद्ध हैं। यहांपर प्रतिवर्ष जलयात्राके लिये अगहन सुदी ५ से १३ तक एक बड़ा मेला भरता है जिसमें समीपी ग्रामोंके दो तीन हजार यात्री एकत्र जुड़ते हैं और अपने वर्षभरके पञ्चायती झगड़ोंका निवटारा करते हैं । बिलहरी। यह ग्राम जिला जवलपुर तहसील मुरवारामें मुरवारा स्टेशनसे ८ मीलपर है। पहले अच्छा आवाद था पर वर्तमानमें बहुत कुछ उजाड़ होता जाता है। हालमें इसकी आवादी २८०० की है जिसमें दिगम्बर जैनियोंकी संख्या ११५ है जो कि २५ गृहमें रहते हैं तथा दिगम्बर जैनियोंके ५ शिखरबन्द मन्दिरजी हैं जिसमें १५ धर्मशास्त्र हैं। कहते हैं कि पहले इसका व्यास २४ मीलका था और मध्यभागमें भैंसा नामक कुंड था जो हालमें ग्रामसे पश्चिमकी ओर ४ मीलपर मौजूद है। उस समय इसका नाम पुष्पावती नगरी था और राजा करणकी राजधानी थी पश्चात् राजा वल हुआ जब कोई वादशाह इनके ऊपर चढ़ आया और राजा वल हार गया इससे जाहिर हुआ कि बलहारा; इसीसे लोग इस ग्रामको बलहारा कहने लगे पर जब अंग्रेज सरकारका राज्य हुआ तव फिर इसका नाम विलहरी किया गया है।
SR No.010495
Book TitleBharatvarshiya Jain Digambar Directory
Original Sutra AuthorN/A
AuthorThakurdas Bhagavandas Johari
PublisherThakurdas Bhagavandas Johari
Publication Year1914
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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