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________________ आभार यह शोध-प्रबन्ध मेरे पूर्व पर्यवेक्षक परमपूज्य गुरुवर्य स्वर्गीय डॉ० रुद्रकान्त मिश्र (पूर्व उपाचार्य संस्कृत विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय) के स्मृति में प्रस्तुत है। जिनके कुशल निर्देशन कृपा व सज्जनता से यह शोध-प्रबन्ध अनुप्राणित हुआ है साथ ही मैं वर्तमान पर्यवेक्षक श्रद्धेय गुरुवर्य डॉ० श्रीमती मंजुला जायसवाल (उपाचार्य संस्कृत विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय) के प्रति हृदय से आभारी हूँ जिन्होंने अपनी कृपा व स्नेह का पात्र मुझे समझकर इस शोध-प्रबन्ध के प्रस्तुतीकरण में मेरा सहयोग किया। इसी प्रसङ्ग में मैं श्रद्धेय गुरुवर्य डॉ० सुरेशचन्द्र पाण्डेय जी (पूर्व अध्यक्ष संस्कृत विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय) का भी हृदय से आभारी हूँ जिन्होंने इस महाकाव्य के विषय में सर्वप्रथम मुझे अवगत कराकर इस पर शोधकार्य करने के लिए उत्प्रेरित किया और समय-समय पर प्रोत्साहित करते रहे। इसी परिप्रेक्ष्य में उन्हीं के शिष्य डॉ० श्री अशोक सिंह (प्राध्यापक पार्श्वनाथ विद्यापीठ, करौंदी, वाराणसी) के प्रति भी मैं अत्यन्त आभारी हूँ जिनके सहयोग से मुझे यह महाकाव्य उपलब्ध हो पाया। साथ ही मैं अपने समस्त गुरुजनों का भी हृदय से कृतज्ञ हूँ जिन्होंने अनेक सद्परामर्श प्रदान किया है तथा मैं अपने माता जी, पिता जी, चाचा जी, दादी माँ एवं बड़े भाई का भी हृदय से कृतज्ञ हूँ जिनका आशीर्वाद व स्नेह मेरे अवलम्ब रहे। मुझे अपने मित्रों से सदा इस कार्य को सम्पन्न करने हेतु प्रेरणा और उत्साह प्राप्त होता रहा, जिसकी अभिलाषा मुझे सदैव ही रहेगी। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय ग्रन्थालय इलाहाबाद, केन्द्रीय पुस्तकालय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी एवं पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध-संस्थान, वाराणसी के कर्मचारियों को भी अनेकशः धन्यवाद देता हूँ जिनके सहयोग से
SR No.010493
Book TitleJain Kumar sambhava ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyam Bahadur Dixit
PublisherIlahabad University
Publication Year2002
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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