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________________ चतुर्य मानिद : पात्रो का विवेचन इसी प्रकार सुमंगला स्वप्न में विभिन्न लक्षणों से युक्त रत्न राशि और कान्ति युक्त अग्नि को भी देखा। उपर्युक्त स्वप्नों को देखकर वह अत्यन्त भयभीत हो गयी और वह उसी समय असमय में ही पति (ऋषभदेव) के मणिमय निवास गृह में जाती है। सुमंगला को असमय आते हुए देखकर भगवान ऋषभदेव बड़े सोच-विचार में पड़ जाते हैं और सुमंगला के विषय में नाना प्रकार की कल्पनाएं करने लगते है। परन्तु सुमंगला द्वारा स्वप्नों का यथावत् वर्णन करने पर भगवान ऋषभदेव स्वप्न विचार करते है तथा उसकी महत्ता का वर्णन करते हैं कि हे विचक्षण सुमंगला उत्तम फल देने में समर्थ यह स्वप्न हमारे हृदय को हर्ष से उल्लसित कर दिया है।३५ इस प्रकार उसकी महिमा का वर्णन करते है। इसके पश्चात् नवें सर्ग में उन चौदह स्वप्नों में प्रत्येक का फल निर्देश करते है- पृथ्वी पर चार पैरों वाले वृषभ के रूप में प्रतिष्ठित तुम्हारा पुत्र सहस्त्र वोधी सुभट अर्थात् योद्धा और सेना के सम्मुख ऐरावत हाथी के समान होगा तथा रणभूमि में सिंह के समान धन सम्पत्ति में कल्पवृक्ष के तुल्य और पुष्पमाला-कीर्ति रूपी सुगन्ध से चारों दिशाओं को व्यक्त करता हुआ, हमेशा पृथ्वी को हर्षित करते हुए चन्द्रमा के समान सुन्दर जैसे चन्द्रमा अनेक कला समूह से युक्त होता है। सूर्य के समान तेज वाला होगा।३६ इस प्रकार पति ऋषभदेव के द्वारा “स्वप्न फल" को सुनने के बाद ११४
SR No.010493
Book TitleJain Kumar sambhava ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyam Bahadur Dixit
PublisherIlahabad University
Publication Year2002
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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