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________________ मन्दिर और स्मारक २७ हुआ और २००० जिह्वा वाला नागेन्द्र (अधिशेष) भी इनका गुणगान करने में असमर्थ रहा, तो दक्षिण के अनुपम और विशाल गोम्मटेश्वर के रूप का कौन चित्रण कर सकता है। कौन उनके रूप को देखकर तप्त हो सकता है और कौन उनका गुणगान कर सकता है ? पक्षी भूलकर भी इस मूर्ति के ऊपर नही उडते । बाहुवली की दोनो काखो मे से केशर की सुगन्ध निकलती है। तीनो लोकों के लोगो ने यह आश्चर्यजनक घटना देखी। वह कौन है जो इस तेजस्वी मूर्ति का ठीक वर्णन कर सकता है ? नागराजो का प्रख्यात ससार (पाताललोक) जिसकी नीव है, पृथ्वी (मध्यलोक) जिसका आधार है, परिधिचक्र जिसकी दीवारे है, स्वर्गलोक (ऊर्ध्वलोक) जिसकी छत है, जिसकी अट्टारी पर देवो के रथ है, जिनका ज्ञान तीन लोको में व्याप्त है। अत वही त्रिलोक गोम्मटेश्वर का निवास है। ___क्या वाहुवली अनुपम सुन्दर है ? हा, वे कामदेव है। क्या वे बलवान है ? हाँ, उन्होने सम्राट् भरत को परास्त कर दिया है। क्या वे उदार है ? हा, उन्होने जीता हुआ साम्राज्य भरत को वापिस दे दिया है। क्या वे मोह रहित है ? हा, वे ध्यानस्थ है और उनको केवल दो पैर पृथ्वी से सन्तोष है जिस पर वे खडे है। क्या वे केवलज्ञानी है ? हा, उन्होने कर्मबन्धन का नाश कर दिया है। जो मन्मथ से अधिक सुन्दर है, उत्कृष्ट भुजवल को धारण करनेवाले है, जिसने सम्राट् के गर्व को खण्डित कर दिया, राज्य को त्यागने से जिसका मोह नष्ट हो गया, जिसने कैवल्य
SR No.010490
Book TitleShravanbelogl aur Dakshin ke anya Jain Tirth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajkrishna Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1953
Total Pages131
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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