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________________ २५ पर निर्धारित थी । उनका 'अहिंसा परमो धर्म' का मिद्धात मारे ससार मे २५०० वर्षों तक अग्नि की तरह व्याप्त हो गया । अन्त मे इसने नवभारत के पिता महात्मा गाधी को अपनी ओर आकर्षित किया। यह कहना अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं है कि अहिंसा के सिद्धात पर ही महात्मा गाधी ने नवीन भारत का निर्माण किया । मुझे पूर्ण विश्वास है कि श्रवणवेल्गोल पर श्रीराजकृष्ण जैन की यह पुस्तक इस महान् तीर्थ की यात्रा करनेवाले सभी यात्रियो के लिए बडी रोचक और लाभप्रद सिद्ध होगी। इस पुस्तक में उन्होने उन सब आवश्यक विवरणो को विस्तारपूर्वक दिया है, जो इस विराट मूर्ति में निहित भावना को वास्तविक रूप में समझने के लिए आवश्यक है। नई दिल्ली १५ जनवरी १९५३ ~टी एन रामचन्द्रन्, एम ए डिप्टी डाइरेक्टर-जनरल, पुरातत्त्व-विभाग
SR No.010490
Book TitleShravanbelogl aur Dakshin ke anya Jain Tirth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajkrishna Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1953
Total Pages131
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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