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________________ (१२) प्रश्न:-कर्मको तुमने देखे हैं ? . उत्तरः-नहीं अपन उनको नहीं देख सक्ने हैं. (१३) प्रश्न:-तुम्हारी पास कितने कर्म हैं ? उत्तर:-आठ. ' (१४) प्रश्न:-सिद्ध भगवंत की पास कितने कर्म हैं ? उत्तरः-एक भी नहीं (१५) प्रश्न:--अरिहंत देवकी पास?. . • . उत्तरः-चार कर्म. . (१६) प्रश्न:-अरिहंत देवको कितने हाथ होवे ? उत्तर:-दो. (१७) प्रश्न:-अरिहंत देव खाते है क्या ? उत्तर:-चे साधु की तरह अचेत आहार करते है. (१८) प्रश्न:-सिद्ध भगवंत क्या खाते हैं ? . उत्तरः-कुछ नहीं ( उनको शरीर ही नहीं है तो.. फिर खाने की जरुरत ही क्या ) (१६) प्रश्नः-इस वक्त इस लोक में कितने अरिहंत हैं ? उत्तरः-वीस(२०) प्रश्नः-वे किस लोक में हैं ? उत्तर:-तीळ लोक में. (२१) प्रश्नः-त्रीछा लोक के किस क्षेत्र में ? उत्तरः-महा विदह क्षेत्र में. . (२२) प्रश्न:-महा विदेह क्षेत्र कितने हैं ? उत्तर:-पांच. (२३) प्रश्न:-अरिहंत देव काल करके कहां जाते हैं ? उत्तर:-मोक्ष में जाते है.
SR No.010487
Book TitleShalopayogi Jain Prashnottara 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharshi Gulabchand Sanghani
PublisherKamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer
Publication Year1914
Total Pages77
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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