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________________ Vii मानिकचदजी चोरडिया का आभार मानन। मै अपना परम कर्तव्य समझता हूँ, जिनका प्रस्तुत कार्य मे मुझे हर समय साथ मिलता रहा। समारोह समिति के सभी सदस्यो को मैं अनेकानेक धन्यवाद देता हूँ, जिनकी सद्भावना, सहयोग तथा साहचर्य से मैं अपने कार्य मे गतिशील रह सका। प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रकाशन-कार्य मे प० श्री शकरलालजी पारीक बी० ए० साहित्यरत्न, विज्ञानरत्न ने अपने अनवरत श्रम से जो स्तुत्य योग प्रदान किया, उसके लिए मैं अपना हार्दिक धन्यवाद देना नहीं भूल सकता। आशा है, प्राच्य विद्या जगत् के अध्येता, अन्वेष्टा तथा जिज्ञासु प्रस्तुत ग्रन्थ से लाभान्वित हो। छापर चूरू (राजस्थान) वसंत पंचमी, स० २०३३ मोतीलाल नाहटा પ્રધાન મન્ની श्री कालूगणी जन्म-शताब्दी समारोह समिति छ।पर (राजस्थान)
SR No.010482
Book TitleSanskrit Prakrit Jain Vyakaran aur Kosh ki Parampara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmalmuni, Nathmalmuni, Others
PublisherKalugani Janma Shatabdi Samaroha Samiti Chapar
Publication Year1977
Total Pages599
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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