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________________ संस्कृत के जैन वैयाकरण एक मूल्यांकन ५६ "सोऽय य श्रुतकीर्ति देवयतिपी भट्टारकोत्तसक 1 ररम्यान्मम मानसे कविपति सद्राजहसश्चिरम् ॥ यह श्रुतकीर्ति 'पचवस्तु' के रचयिता से भिन्न होगे क्योकि इसमे श्रुतकीर्ति को कवि पति कहा गया है | श्रवणबेलगोल के शिलालेख सख्या १०८ मे जिन श्रुतकीर्ति का उल्लेख है, सम्भवतया वही यह हो । इन्ही के शिष्य ने यह प्रक्रिया ग्रन्थ बनाया । यह टीका ग्रन्थ सोमदेव की शब्दार्णवचन्द्रिका के आधार पर प्रक्रियावद्ध रूप मे लिखा गया है । जैनेन्द्रव्याकरण पर कुछ अन्य टीकाओ की भी जानकारी प्राप्त होती है । ऊपर जिस भगवद्वाग्वादिनि की चर्चा की है, उसे वि० स० १७६७ मे रत्नषिनामक किसी मुनि ने लिखा था। इसमे जैनेन्द्र व्याकरण का शब्दार्णवचन्द्रिकाकार द्वारा मान्य सूत्र पाठ मात्र है जो ८०० श्लोक परिमाण है । मेघविजयकृत जैनेन्द्रव्याकरणवृत्ति राजस्थान के जैन शास्त्रभडारो की ग्रन्थसूची भाग २ पृ० २५० मे मेघविजय द्वारा लिखित वृत्ति का उल्लेख है । यदि वे हमकोमुदी ( चन्द्रप्रभा ) व्याकरण के कर्ता ही हो तो इस वृत्ति की रचना १८वी शताब्दी मे हुई मान सकते हैं । विजयविमलकृत अनिटकारिकावचूरि जैनेन्द्रव्याकरण की अनिटकारिका पर श्वेताम्बर जैन मुनि विजयविमल ने १७ वी शती में अवचूरी की रचना की है । जैनेन्द्र पर इतने टीका ग्रन्थो से उसके प्रसार का पता चलता है । पात्यकीर्ति का शब्दानुशासन या शाकटायन व्याकरण ऊपर हमने जैन व्याकरणशास्त्र की जिस मुनित्रयी का उल्लेख किया है, उसमे जैनेन्द्र के बाद आते है आचार्य पाल्यकीर्ति शाकटायन । पाणिनि ने अष्टाध्यायी मे आचार्य शाकटायन का उल्लेख किया है । सन् १८६४ मे बुहलर को जब पात्यकीर्ति के शब्दानुशासन की पाण्डुलिपि का कुछ अश प्राप्त हुआ तो उन्होने संस्कृत जगत् को सूचित किया कि उन्हे पाणिनि द्वारा उल्लिखित शाकटायन व्याकरण उपलब्ध हो गया है । वास्तव मे यह भ्रम था । बाद मे ज्ञात हुआ कि उपलब्ध व्याकरण पाल्यकीर्ति शाकटायन का है । तब से लेकर अब तक शाकटायन व्याकरण के अध्ययन-अनुसन्धान के प्रयत्न बरावर होते रहे और इसका जो नवीनतम संस्करण अमोघवृत्ति सहित भारतीय ज्ञानपीठ, काशी
SR No.010482
Book TitleSanskrit Prakrit Jain Vyakaran aur Kosh ki Parampara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmalmuni, Nathmalmuni, Others
PublisherKalugani Janma Shatabdi Samaroha Samiti Chapar
Publication Year1977
Total Pages599
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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