SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 23
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जन-सेवा वनाम जिन-सेवा भगवान महावीर अपने समय के क्रान्तदर्शी जन-नायक थे। केवल ज्ञान और केवल दर्शन की महान्योति प्राप्त करने के बाद वे पैदल घूम-घूम कर निरन्तर तीस वर्ष तक जन सेवा करते रहे । जनता-जनार्दन को निष्काम सेवा करना हो तो उन का कर्तव्य शेष रह गया था । उनकी दृष्टि में जन-सेवा का कितना महत्वपूर्ण स्थान धा-इन्द्रभूति गौतम और महाबोर के निम्न ऐतिहासिक सवाद पर से इसका सहज ही अनुमान किया जा सकता है। चिन्तन के क्षणों में बैठे हुए एक बार इन्द्रभूति गौतम के 'अन्तर्मन में महमा एक विचार धूम गया । उनके मन को एर मरामरन ने घेर लिया । ये मामन मेच्छे पौर प्रश्न काममा.
SR No.010480
Book TitleSanmati Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSureshmuni Shastri
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year
Total Pages47
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy