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________________ Mewatimemumauwoo ७..]. संमिशन इनित अनुपधारो. (५) और तोपखाना थे। विजयनगर राज्य सेवास। भी अपना एक बेड़ाबा। मुखकमान सैनिकामी सेपाने रखेगाते थे। राजपकी गाय साधारणतः भूमिकासे मुरूपतः और मकरोसे हुमा करती थी। धान्यका छठा भाग कर-रूपमें वसूल किया जाता था। विशेष अवस्थामें भूमिकरमें परिवर्तन भी होता था। पम्प करोंमें (१) चुंगो, (२) पशु वनेका कर, (३) नायकर, (१) अंगक. .., (५) मय कर, (६) कारखानोंका कर, (७) विवाह-का, नादि सम्मिलित थे। बावका तीसरा भाग राजकीय महसने त्यानारामको सामिग्री पर खर्च किया जाता था। और जायका नाममा सेनाले अर खर्च होगाता था। व्यापार। नरम, ईशन, पुर्तगासनादि देशोंसे विभयनगा रामानों राजनतिक सम्पर्क स्थापित किये थे, जिसके ारण विन्यनगा राज्य व्यापार खूप ही चमका बा । बनेक भारतीय व्यापासे दूर कर देशोले व्यापार करते थे। उनके अपने बहाब थे। उनमें वे मेगा शो नौर रेशमी कपड़ा, उन, हीरा, माहरात, मसालेकी चोमें, तीस गोर काफी माफर विदेशोंको लेनाते थे। विदेशी मेंग जाने देशों सामानमार विश्वनगरके बड़े नगरोंके कमसेन च । भन्दुमज्जाकने सिकि विजयनगर सम्पने तीसी - बे, जिनमें निकलन, मिस्.ि (Syrial वन, स ार - FिR-RR५.
SR No.010479
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages171
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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