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________________ संक्षित बैन इतिहास । इस राजममाके सदस्यों की नियुक्तियां प्रायः बाकी इच्छानुसार होती बी गनपानीके प्रबंधके लिये नियुक्त पुलिसका रच अधिकारी भी इस शासन सभाका सदस्य होता था। इन सबमें प्रधान मंत्रीका पद ही महत्वपूर्ण होता था। कोषाध्यक्ष भी नियुक्त किये जाते थे, बो नाव-व्यका हिसाब रखते थे। भाट, पान कानेवाला, पंचांगकर्ता, खुदाई करनेवाला, लेख-निर्माता तथा शासनाचार्य भी महामंत्रीके पापीन होकर अपना२ कार्य करते थे। न्यायका कार्य सेनापति सुपुर्द बापरन्तु पधान न्यायाधीश स्वयं राजा ही था। दण्डमें जुर्माना किया. बावा या मथवा दिव्य परीक्षा (Ordeal) तथा मृत्युदंड दिया जाता था। देवरायने प्रायश्चित्तका दंड भी दिया था।' शासन-विभाग। राजा शासन-सभाके अधिकारियों सहित पनाकी हित दृष्टिसे शासन किया करता था। प्रजाको धार्मिक संस्कृति और बाबा समृद्धिको अभिवृद्धि करने का ध्यान राजाको था। देशमें शान्तिपूर्ण सुव्यवस्था हने पर यह अभिवृद्धि सम्भव थी। इसलिये ही शासन-प्रबन्ध चार भागों में बांटा गया था । (१) केन्द्रीय शासन, (२) प्रान्तीय शासन, (३) नाधीनस्व राज्य शासन, (१) प्राम प्रबन्ध । केन्द्रीय शासन राबा और मंत्रिमण्डस्के भाषीन था। ब्रमण, क्षत्रिय और वैश्य के कोग मंत्रीपदा नियुक्त किये जाते थे। प्रान्तीय शासनका बार पान्तपति सामन्तों को नायकोपर निर्भर बा। राजकुमार गौर सबसमधीही पाय प्रताप शसक नियुक्त किये जाते थे। कोई
SR No.010479
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages171
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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