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________________ कर किसानोई विकास मंत्री थे। किन्तु र पी केन्द्रीय शक्तिको स्किन सके। प्रायः सभी पान्त सतंत्र हो गये। इस विकट परिस्थितिम गच्युतको शौर्य बागृत हुमानच्युसने सामन्तोंको पाने के लिये उन पर कर दी और सपको मत अपने नाधीन कर लिया । किन्तु रिन्द संगठनका ध्यान बाबाको रहा और न सामंतोंको । वे रागरंगमें फस गये। बच्युत सन् १५१२० में सर्गवासी हुना। पाम वैष्णव शासक था। चैन इनके राज्यमें भी बादी विधानंद द्वारा उत्कर्षको पास हुमाया। अच्युत और पदाशिव। महम मक्ता चुके है कि अच्युतके बहनई तिम्मके सपने राज्यका शासनस्त्र था। मच्युतके पश्चात उसकी रानी बस्ददेवी पुत्र बेहटको गसिंहासन पर बैठाना चाहती थी और उसका हक भी था, किन्तु तिम्म स्वयं राज्याधिकारी बनना चाहता था। अपने स्वार्थ के समक्ष हिन्दशासक हिन्दुधर्म और हिन्दू हितोंको भाग। हठात् गनी गावदेवीने बीजापुर मुस्तान मादिकशाहके पसी भेज दी मोर वेस्टकी रक्षा करने के लिये कहा मेवा। विमा विजयनगर पर चढ़ माया-पना भी उसके साक जे गर्म; किन्तु तिम्मने उसे पचास लाख रुाय और लकड़ों हाथियों की स देकर शान्त कर दिया-मादिलशाह पाप बीजापुर कट गया। पनेरी हत्या करपाके सपना प्रभाव जमावा | उसम प रामराको ! उसने ति प्रको गहोसे हरायके 1-लि., . .१-७१. २-०, पृ. १२१.
SR No.010479
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages171
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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