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________________ विवा । 15 w e Ke मन पस्या की थी। उसके लोक ललित'मान्तीका बसमा मिता-(१) उदयगिरि राज्य () विषय, (३) गुण राज्य (१) मलेह (पाचीनवनवासी) गज्य तुलराज्यतया (७) राज्य गम्भीरराम। इन प्रान्तोरस ने राजमारों नौ पतिष्ठित व्यक्तियोंको प्रान्तीय शासक निक्स किया सिरका शासन अन्य इतना सुम्पपस्थित था कि उसकी स्पतिवारीबोर कैल गई थी। हरिहर दि. के धर्मकार्य । हरिहर द्वारा भारतीय संस्कृतिक सम्युदयका प्रयास हुमाया। सरको विकासका पुजारी बा; पान्तु मन्य मतोंक पति मी भार वा। वैदिक मतके स्कर्षके लिये हमे बो किया उसके कारण दिकमार्ग स्थापनाचार्यः' भोरपतवांween 'काया वा। हमने समयका एक बड़ा दानवीर 'उस गार्मोकर्षके लिये मूहबद्री भोर वैन मंदिरोंको बाबका पनी धर्मसहिष्णुताका परिचय दिया था। हरिहरके गर्मचारी भी बैन थे। हरिहरके गनदरमा वाजिवंशके माल मधुर नामक वैन विद्वान् रामावि थे, जिनका एक विरुद्ध ' मनावस्थान ना ' वीर हरिहायकी एक सनी, जिनका नाम दुब्ये धर्मसे प्रमादिन हुई थी .. उनहोंने गजमंत्री गम नारा १-fat., पृ४१-४३ । २-बिह.. पृ. ४५-४६।३-मा. भाव साउथ इणिवा, भाग २ (मी वेल)। ४- ०, पृ. ३०५ ।५- ०३७६ । ६-मे०, पृ. ३.१ पृ. २४५. ३०.. . ११४ ।
SR No.010479
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages171
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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