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________________ १२] संक्षिप्त जन इतिहास। उघर जैन शाम्रोंसे यह प्रगट ही है कि उत्तर भारतकी तरह दक्षिण भारतके देशोंमें भी सर्व प्रथम म० ऋषभदेव द्वारा ही सम्यता और संस्कृतिका प्रचार हुआ था। जब वह समूचे देशकी व्यवस्था करने लगे थे, तब इन्द्रने सारे देशको निम्नलिखित ५२ प्रदेशोंमें विभक्त किया था: "सुकौशल, अवंती, पुंड, उंडू, अश्मक रम्यक, कुरु, काशी, कलिंग, मंग, बंग. सुख, समुद्रक, काश्मीर उशीनर, आनर्त, वत्स, पंचाल, मालव. दशार्ण, कच्छ, मगर, विदर्भ, कुरुजांगल, करहाट, महाराष्ट्र, मुराष्ट्र, मामीर, कोंकण, वनवास, मांध्र, कर्णाट, कोशल, चोल, केरल, दारु, अभिसार. मौवीर, सूरसेन, अपरांत, विदेइ, सिंधु, गांधार, यवन, चेदि, पल्लव, कांबोज, मारट्ट, बाल्हीक. तुरुष्क, शक, और केकय ।' १. " देशा: सुकोशलावंतीपुड्रोडाश्मकरम्यका: । कुरुकाशीकलिंगांगबंगसुह्याः समुद्रकाः ॥ १५२ ।। काश्म रोशीनगनतवत्सपंचाळमालवा: । दशा: कच्छमगमा विदर्भा कुरुजांगलं ॥ १५ ॥ करहाटमहाराष्ष्ट्रसुगष्ट्रामीरकोंकणाः । बनवासांध्र कर्णाटकोशटाचोळकेरला: ॥ १५४ ॥ दाभिसासौवीर शूरसेनापतकाः । विदेहसिंधुगांधारयवनाश्वेदिपल्लुवाः ॥ १५५ ॥ कांबोजांगवाललापरुशककेकया: । निवेशितास्तथान्येवि विभक्ता विषयास्तदा" || १५६ ॥ मादिपुराण पर्व १६ ।
SR No.010475
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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