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________________ [१४] भपा.-- भगवान पाश्वनाथ-के. कामताप्रसाद जैन (सरत)। मम भगवान महावीर- " " " भमबु०-भगवान महावीर और म बुद्ध कामताप्रसाद जैन (सूरत) भमी०- भट्टारक मीमांसा (गुजगती) सात। भमत्र-मगवान महावीरकी महिंसा (दिल्ली) भाई-मारतवर्षका इतिहास-टी. वरीप्रसाद डी. लिट । प्रयाग १९२७)। भावशो० . प्रशौक-डे। माण्डारका (कळत्ता)। भाप्राग मारतके प्राचीन राजवंश श्री. विश्वेश्वरनाथ रेट बंबई। भाप्रासइ =भारतको प्राचीन सभ्यताका इतिहास,सर रमेशचंद्र दत्ता मजेह : मगठी जैन इतिहास । मनि०- । . है मसमनिकाय P. T. S. ममप्रनस्मा ० - मद्रासमैसुरके प्रा० जनस्मारक व शीतप्रसाद जी। महा=महावग्ग (S. B. E. Vol. XIII). मिलिन्द० मिनिन्द पन्ह (S. B. Vol. XXXT.) मुर। =मुद्राराक्षस नाटक-इन दी हिन्दू ड्रामेटिस वर्कस,विडसन । मला मुलाचार वट्टकेर स्वामी (हिन्दी भाषा सहित बम्बई)। मैबु मैन्युड बॉफ बुद्धिज्म (स्पेनहा)। मगशो -शोक मकफैक कृत (H. LS.) मारि माडनरिव्यू , सं० रामानंद चटर्जी (कलकत्ता)। मैकु०-मैसूर एण्ड कुर्ग फ्राम इंस्क्रिपशन्स-राइस (बंगलोर)। मैबु मैन्युल माफ बुद्धिज्म-(स्पेनहाडी) मोद-मोहेनजोदरो-सर जान मारशल (उन्दन)। ..
SR No.010475
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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