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________________ ३२] संक्षिप्त जैन इतिहास । ऐलेय और एक कन्या मनोहरी नामकी थी। राजा दक्षने अपनी कन्याको पत्नी बनानेका दुष्कर्म करडाला । ऐलेय और उसकी माता इला राजा दक्षसे रुष्ट होगये और कौशल देशको' छोडकर अन्यत्र चले गये । आखिर ऐलेयने ताम्रलिप्ति नगरको स्थापित किया और वह एक राजा बनगया । राजा ऐलेयने भारतको विजय किया और अन्तमे वह मुनि होगया। इन्हीं ऐलेयकी सन्ततिमें एक राजा अभिचन्द्र हुआ। जिसने विन्ध्याचलपर्वतके पृष्ट भागमे चेदिराष्ट्रकी स्थापना की थी ।भ० अरिष्टनेमिके समय अर्थात महाभारत कालमें हरीवंशी राजकुमार जरत्कुमार कलिङ्गराजके जमाई थे और द्वारिकाके साथ यदुवंशीयोंके नष्ट होनेपर जरत्कुमार कलिङ्गराजमे जाकर राज्य करने लगे थे । फलत कलिङ्ग हरिवंशी क्षत्रियोंके शासनमे आगया । म० महावीरके समयमे भी वहा हरिवंशी जितशत्रु नामके राजा राज्य करते थे। उनके पश्चात् कलिगके राजवंशका पता जैन शास्त्रोंमे नहीं मिलता। किन्तु जैन पुराणके उक्त वर्णनका समर्थन कलिङ्गराज ऐल खारवेलके हाथीगुफावाले प्रसिद्ध लेखसे होता है; जिसमे उन्हें गेल चेदिवंश' का लिखा है और उनके पूर्वपुरुषका नाम ' महामेघवाहन प्रगट किया है। विद्वानोंने इस चेदिवंशको दक्षिणकौशलसे कलिङ्गमे आया बतलाया है। वस्तुत सन् २१३ १-हरि० ११-३-९व जविमोसो०भा० १३ पृ० २७७-२७९ २-हरि० (कलकत्ता) पृ० ६२३. ३-'ऐलचेतिराजवसवधनेन'-जविमोसो० भा० १३ पृष्ठ २२३. 4-This branch of the Chedis seems to have migrated ' into Orissa from Mahakosala.' , -JBORS III 482.
SR No.010472
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 01 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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