SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 107
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अन्य राजा और जैन संघ। [८५ शराजकी पुत्री थी । जरत्कुमार अपनी ससुरालमें जाकर रहने लगा और वहांपर उसका पुत्र वसुध्वज राज्याधिकारी हुआ था । वसुकी छठी पीढ़ीमें नितगत्रु नामक कलिङ्गका राजा भगवान महावीरजीका समकालीन था और जैन मुनि होगया था; यह पहले लिखा जाचुका है। उसके बाद कलिंग राज्यका क्या हुआ ? यह कुछ पता नहीं चलता। शायद किसी अन्य राजाका वहांपर अधिकार होगया हो । जैन सम्राट् खारवेलके शिलालेखके अनुसार कौशल देशके राजाका कलिङ्गमें आधिपत्य जमना प्रगट है। किंतु वीचमें मगधके नन्दराज भी वहां कुछ वर्षोंतक राज्याधिकारी रहे थे। अतः यह निस्सन्देह ठीक प्रतीत होता है कि कलिङ्गमें यदुवंगी जरत्कुमारके वंशज राजभ्रष्ट होगये थे । मालूम होता है कि वह कलिङ्ग छोड़कर कहीं अन्यत्र चले गये थे। अतः लोमकरण राजा इसी समय हुये होंगे । जरत्कुमारकी संतानमे उनका होना संभावित है; क्योंकि भगवान महावीरजीके समयतक यदुवंगके जो राजा हुए उनमें इस नामका कोई राजा नहीं है । इस अवस्थामे नंदराजद्वारा पराजित होकर कलिङ्गसे निकलनेपर जो राजा इस वंशमें हुए, उनमें ही लोमकरण राजाका होना सुसंगत है । इस अपेक्षा वह ईसवी पूर्व पहली व दूसरी शताब्दिमें हुए अनुमान किये जासकते है। उन्हें भगवान नेमिनाथजीके समयमें हुआ मानना ठीक नहीं है। लमेचुओंकी पुरानी पट्टावलियोंमें राजा लोमकरण अथवा लम्बकर्णको १-हरि० पृ० ५८७-६०२ और ६२३ । २-जविमोसो० भा० ३.पृ० ४३५-४३८। ३-हरि० पृ० ६२३ ।
SR No.010472
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 01 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy