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________________ संक्षिप्त जैन इतिहास। दतः भाजकलका 'वसुकुण्ड' गांव है। कोई २ विहान कोल्डागको हो भगवान महावीरका जन्मस्थान बतलाते है किन्तु यह बात दिगम्बर और श्वेतांचर-दोनों जैन संप्रदायोंकी मान्यताके विरुद्ध है। श्वेताम्बर ग्रन्थोंसे पता चलता है कि कोल्लागके निकट एक चैत्यमंदिर था, निसको 'दुइपलाश', 'दुइपलाश उन्नान' अथवा 'नायषण्डवन' कहते थे। इस उद्यानमें एक बगीचा था: नितमें एक भव्य मंदिर बना हुआ था। दिगम्बर जैन शास्त्रों में 'वनपण्ड' में अथवा नायपण्ड या ज्ञातृखंड वनमें जाकर भगवानको दीक्षा देते लिखा है। यह वनपण्ड उपरोक्त नायपण्डवन ही है। क्योंकि वह भगवानके जन्मस्थानके निकट था और वहांसे उठकर भगवान कुलपुर अथवा कुलग्राममें प्रथम पारणाके लिये गये थे। यह कुलपुर कोल्लाग ही प्रतीत होता है, जो नायपण्डवन विस्कुल समीप और नाथवंशी क्षत्रियों के पूर्ण अधिकारमें था। कोलागका अपर नाम नायकुल' भी मिलता है। इस दशा में कोल्लानका कुलपुर अथवा कुलग्राम होना चाहिये। दिगम्बरनायके ग्रन्थों में कुलग्रामका रामा कुलनुप लिखा है। कलपर कोलाग है अर्थात् राना और नगरका नाम एक ही है । और ज्ञात्रिक क्षत्री इससे भी कोल्लागका कुलपुर या कुलग्राम होने वजियन प्रजातंत्रमें और वहांके निवासी नायवंशो क्षत्रियों का सम्मिलित थे। वजि-प्रजातंत्र-संघमें समिष्ट होने का परिचय मिलता है। कुशका व्यवहार उससमय साधारणतः वंशको लक्ष्य • १-कैहिइ. पृ० १५७ । २-उद० २।४, फसू. ११५ व मास. . २।।५-२२३३-उ० पु. पृ०६०९।४-३६० ६६. ५-उ०पु० १०६.१। -
SR No.010471
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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