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________________ शिशुनाग वंश | [१५ इनके गुणोंपर मुग्ध होगई थी और अन्तमें उसका विवाह महाराज श्रेणिक के साथ होगया था । ईसी नन्दश्रीसे श्रेणिकके ज्येष्ठ पुत्र समयकुमारका जन्म हुआ था । श्रेणिकके राजसम्पन्न होनेके पश्चात् दक्षिण भारत के केरल नरेश मृगांने अपनी कन्या विलासवतीका विवाह भी उनके साथ कर दिया था | चौडोंके तिब्बतीय दुखमें शायद इन्हीं का उल्लेख वासवीके नामसे हुमा है; जहां वह एक साधारण लिच्छविनायक की पुत्री और श्रेणिक के दूसरे पुत्र कुणिक अजातशत्रुकी माता प्रगट की गई है किन्तु यह कथन बौद्धोंके पाली ग्रन्थोंकी मान्यतासे बाधित है। पाली ग्रन्थोंमें कहीं उन्हें वैशालीकी वेश्या आम्रपा के गर्म और श्रेणिक औरससे जन्मा वतलाया है और कहीं उन्हें उज्जनीकी वेश्या पद्मावती की कोख से जन्मा लिखा है । ऐसी दशामें उनके कथन विश्वास करने के योग्य नहीं हैं । मातृम ऐसा होता है कि कुणिक मजातशत्रु अपने प्रारंभिक और अंतिम जीवनमें जनधर्मानुयायी था और वह चौद्ध संघके द्रोही देवदत्त नामक साधुके बहकावे में आगया था, इन्हीं कारणोंसे बौद्धोंने साम्प्रदायिक विद्वेषवश ऐसी निराधार व भर्त्सना पूर्ण बातें उनके सम्बंध में लिख मारी हैं | वरन् स्वयं उन्हींके ग्रन्थोंसे प्रगट है कि मजातशत्रु 1 १ - श्रेणिक चरित्र (१०६१) नंदश्रीको वेदय इन्द्रदत्त सेटोकी पुत्री लिखा है, किन्तु उससे प्राचीन 'उत्तरपुराण' में वह चह्मण कन्या बताई गई है । उ० पु० पृ० ६२० | २ - ० च० पृ० ९९ । ३ - हमारा " ; भगवान महावीर पृ० १३८ व क्षत्री केन्स० पृ० १२५-१२८ | ४- कहिल, लाइफ ऑफ दी बुद्र, पृ० ६४ । ५-दी साम्स ऑफ दी सिस्टर्स, पृ० १० ।
SR No.010471
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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