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________________ १९६] संक्षिप्त जैन इतिहास। यूनानियोंने इन नग्नसाधुओंमें मन्दनीस और कलोनस नामक दिगम्बर जैन साध दो साधुओंकी बड़ी प्रशंसा की है । इनको मन्दनीस और उन्होंने ब्राह्मण लिखा है और इस अपेक्षा __ कलानस। किन्हीं लेखकोंने उनका चरित्र वैदिक ब्राह्मणों की मान्यताओं के अनुकूल चित्रित किया है। किंतु उनको सबने नग्न बतलाया है। तथापि कलोनसको जो केशलोंच मादि करते लिखा है, उससे स्पष्ट है कि ये साधु जैन श्रमण थे। एक यूनानी लेखकने कलोनसको ब्राह्मण पुरोहित न लिखकर 'श्रमण' बतलाया भी है। अतः मालूम ऐसा होता है कि जन्मसे ये ब्राह्मण होते. हुये भी जैन धर्मानुयायी थे। इनका मूल निवास तिरहूतमें था। सिकन्दर जब तक्षशिलामें पहुंचा तो उसने इन दिगम्बर साधुओंकी बड़ी तारीफ सुनी । उसे यह भी मालम हुआ कि वह निमंत्रण स्वीकार नहीं करते । इसपर वह खुद तो उनसे मिलने नहीं गया; किंतु अपने एक अफसर ओनेसिक्रिटस (Onesikritos)को उनका हालचाल लेने के लिये भेजा। तक्षशिलाके बाहर थोड़ी दूरपर उस अफसरको पन्द्रह दिगम्बर साधु असह्य धूपमें कठिन तपस्या करते. मिले थे । कलोनस नामक साधुसे उसकी वार्तालाप हुई थी। यही साधु यूनान जानेके लिये सिकन्दरके साथ हो लिया था। मालूम होता है कि 'कलोनस' नाम संस्कृत शब्द 'कल्याण' का अपभ्रंश है। ' १-विशेषके लिये देखो वीर, वर्ष ६। २-ऐइ०, पृ. ७२ । ३-ऐरि० भा० ९ पृ. ७० । ४-ऐ०, पृ. ६९। ५-यूनानी लेखक. प्लूटाईका कथन है कि यह मुनि आशीर्वादमें 'कल्याण' शब्दको प्रयोग करते थे। इस कारण कलॉनस कहलाते थे। इनका यथार्थ नाम 'स्फाइन्स' (Sphines) था। मेरेइ० पृ० १०६ ॥
SR No.010471
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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