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________________ दृधशाद .बन शब्दाव-पं० बिहारीलालश्री चैतन्य । विर०विद्वद्ग्लंगाला- नाथूरामजी प्रेमी (वंबई) । भव० वणवेलगोला, रा०प० प्रो० नासिंहाचार एम०ए० (मदार)। मेनाणिकचरित्र (सरत)। सकोसमक्व कौमुदी-(वम्बई)। पजे०पनातन पैनधर्म-अनु० कामताप्रसाद (कलकत्ता)। मुजेक्षित जैन इतिहास-प्रयम माग-कामताप्रमाद (सूरत) । सदिऔसम निस्टिन्गुइन जैन्स-उमरावसिंह टांक (आगरा) । संप्राजस्मा० मयुक्त प्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक-प्र० शीतलप्रसादजी। स्माइनस्टटीज इन पाउथ इन्डियन जैनीम-मो० रामास्वामी भागा । सस०सम्रन्ट अफचर और सूरीश्वर-मुनि विद्याविजयजी (भागरा) : सक्षट्राएइम क्षत्री ट्राइभ इन एनिदायन्ट इन्दिपा-डॉ. विम. नावरणला। साम्म पाम् भऑफ दी बदरेन । मुनि० मुत्तनिपात (S. B.E.)। हरित हरिवंशपुराण-भी जिनसेनाचार्य (कलकत्ता)। हॉहॉट ऑफ जैनीज्म-मिसेज स्टीवेन्सन (लंदन) । हिवाद. हिमारून हिस्ट्री ऑफ दी आर्यन रूल इन इन्डिया हेवेल । मार दा भायन कला हिग्ली-हिस्टॉरीकल ग्लीनिनाम-डॉ. विमलाचरण लॉ० (कलकता). हिटे० हिन्दू टेल्प-जे० जे० मेयर्स ।। हिंद्राव०हिन्दू ड्रामेटिक वम-विलसन् । हिप्रीफि० हिस्ट्री ऑफ दी प्री-बुद्रिस्टिक इंडियन फिलॉस्फीबापमा ( कलकत्सा) हिलिज० हिस्ट्री एण्ड लिट्रेचर ऑफ जनीजम-बारोदिया (१९०१)। हिवि०हिन्दी विश्वकोप-नगेन्द्रनाथ वसु (कलकत्ता)। सत्रीसन्मात्रीलन्स इन बुबिस्ट इंडिया-डॉ विमलाचरण लॉक।
SR No.010471
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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