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________________ ((), " एइ० एपिप्रेफिया इटिका' । एइमे• या 'मेएड०' - 'एन्दियेन्ट इन्डिया एज डिस्काइ बाई मंग स्थनीज एण्ड ऐरियन' - ( १८७७) । एड्जै०= एन इपीटोम ऑफ जेनीज्म'-श्री पूर्णचन्द्र नाहर एम० ए० । एमिक्षा ०८ 'एन्शियेन्ट मिड- इंडियन क्षत्रिय ' -डॉ० विमलाचरण लॉ (कलकत्ता) । ऐरि०= 'ऐशियाटिक रिसचेंज' - सर विलियम जोन्स ( सन् १७९९ १८०९ ) । ऐइ० = एन्शियेन्ट इन्डिया एज डिस्काइन्ड बाद स्ट्रैबो, मैकक्रिन्टिल (१९०१) । कजाइनिंघम, जॉगरफी ऑफ एन्शियेन्ट ईन्डिया' - ( कलकत्ता १९२४ ) । कलिए हिस्ट्रो ऑफ कनारीज टिचर -६० पी० राइस (H. I. S.) 1921. • कसू०='कल्पसूत्र' मूल (श्वेताम्बरीय आगम ग्रंथ ) । काले०=कारमाइकल रेक्चर्स-डॉ० डी० आर० माण्डारकर | केहि 'कैम्ब्रिज हि ट्रो ऑफ इन्डिया' - ऐन्शियेन्ट इंडिया, भा० १ - पिसन सा० (१९२२) । गुसापरि०= गुजराती साहित्य परिषद रिपोर्ट- सातवीं । ( भावनगर सं० १९८२ ) । गौ० गौतम बुद्ध के० जे० सॉन्डर्स (H. I. S.) • चंभम०= चंद्रगज भंडारी कृत भगवान महावीर ।' -नविओोसो ०='जर्नल ऑफ दी बिहार एण्ड ओडीसा रिसर्च सोसाइटी । जम्बू०=जम्बूकुमारचरित (सूरत बीव्ह २४४० ) 1 मीसो० जर्नल ऑफ दी मीथिक सोसाइटी-बेंगलोर ।
SR No.010471
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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