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________________ - ८४ संक्षिप्त जैन इतिहास । व्यक्तित्व प्रमाणित है; जैसे कि पहले बौद्धग्रंथोंके उद्धरण दिये जा चुके हैं। इन दोनों महापुरुषोंकी कतिपय जीवन घटनायें अवश्य मिलती जुलती हैं; किंतु उनमें विभिन्नतायें भी इतनी वेढब हैं कि उनको एक व्यक्ति नहीं कहा जासक्ता है । म० गौतमबुद्धके पिताका नाम जहां शाक्यवंशी शुद्धोदन था, वहां भगवान महावीरजीके पिता ज्ञ तृकुलके रत्न नृप सिद्धार्थ थे । म० बुद्धके जन्मके साध ही उनकी माताका देहांत होगया था; किंतु भगवान महावीरकी माता रानी त्रिशला अपने पुत्रके गृह त्याग करनेके समय तक जीवित थीं। भगवान महावीर बालब्रह्मचारी थे; पर म० बुद्धका विवाह यशोदा नामक राजकुमारीसे हुआ था जिससे उन्हें राहुल नामक पुत्ररत्नकी प्राप्ति भी हुई थी। भगवान महावीरने गृहत्याग कर जैन मुनिके एक नियमित जीवन क्रमका अभ्यास किया था । म० बुद्धको ठीक इसके विपरीत एकसे अधिक संप्रदायक साधुओं के पास ज्ञान लाभकी जिज्ञासासे जाना पड़ा था । म बुद्धने पूर्ण सर्वज्ञ हुये विना ही ३६ वर्षकी अवस्था में बौद्धधर्मको जन्म देकर उसका प्रचार करना प्रारम्भ कर दिया था। किंतु भगवान महावीरजीने किसी नवीन धर्मकी स्थापना नहीं की थी। उन्होंने सर्वज्ञ होकर ४२ वर्षकी अवस्थासे जैनधर्मका पुनः प्रचार करना प्रारम्भ कर दिया था। दोनों धर्मनेताओंके धर्मप्रचार प्रणालीमें भी जमीन आस्मानका अन्तर था। म० बुद्धको अपने धर्मप्रचारमें सफलता उनकी मीठी वाणी और प्रभावशाली • मुखाकृतिके कारण मिली थी। लोग मंत्रमुग्धकी तरह उनके उपदेशको ग्रहण करते थे। उसकी १-सान्डर्ड गौतम बुद्ध पृ० ७५ । - -
SR No.010471
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 01 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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