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________________ जैनधर्म की रूपरेखा 1 पोफेमा । लेग्य-जीन्दगा भमान : प. प्रा '7 पङ्गनाय महनकरन यांतगग विज्ञान | नमई, नाहि जाने गये अनादि महान ।। जैन धर्म क्या है? ममा, 2 मर ग में भयम नहीका मनु, पा पता, यासक. . .८ पm नाना प्रकार के शाम पाह.. मी ime... धारण करने में नीर का कन, जन धर्म क्योंकि न तोयम पाया समाय मन-जनन कान दा.." माना। चनन पनि यक है न ।'' या पदा, लोन प्रदर्शन ... ' । बारपान ५.या जाता है न म... काय ना नही, या जनपम " ... ' धन का 'मदान है। फक. मि. जनधन य FAR -ना है कि जैन नगन प्रत्येक जीव को मना माजमा पन्ध मानना है और अपन. अपने कमानुमार उरला मा. मनता है। किमाथ हा
SR No.010470
Book TitleSankshipta Jain Dharm Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhaiya Bhagwandas
PublisherBhaiya Bhagwandas
Publication Year
Total Pages69
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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