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________________ dan जो कोई और जी शास्त्र का अभ्यास करने वाले हैं वे सब केवल व्यसनी और मूर्ख हैं; परन्तु जो सक्रिया वाला पुरुष हो वही परिमत कदलाता है. ... प्रश्न जो कहते भी हैं और करते नी हैं वह मत कौनसा है ? .... उत्तरः-इस विषय में मुझको कुच्छ मु.' .: है, जो रे ही. .... ....... .. सी ॥ ५ख पाये। और उद्यम कर के अन्वेषण पार (ढुंढ) ले, कि किस मतों के साधुओं के और उनके सेवकों के क्या नियम हैं, और वह उन नियमो पर चलते हैं वा नहीं और उनकी प्र... तीत और चलन कैसे हैं. “दाथकङ्गन को आरसीक्या?” अब देखिये, कि सिवाय जैलियों और कुच्छ एक दक्षिणी वाहनों के, और संव प्रायः मधु सांस की चाट करते हैं. सात
SR No.010467
Book TitleSamyaktva Suryodaya Jain arthat Mithyatva Timir Nashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParvati Sati
PublisherKruparam Kotumal
Publication Year1905
Total Pages263
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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