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________________ भस्मग्रह के उतरे बाद विशेष होगी, इसी मुजिब श्री आनंद विमल सूरि,श्रीहेमविमलसूरि,श्रीविजयदानसूरि,श्रीहीरविजयसूरि और खरतर गच्छीय श्रीचिनचंद्रसूरि वगैरहने क्रियाउद्धार किया तब से लेके आज तक त्यागी संवेगी साधु साध्वी की पूजा प्रभावना दिन प्रति दिन अधिक अधिकतर होती जाती है और पाखंडियों की महिमा दिन प्रति दिन घटती जाती है यह बात इस वक्त प्रत्यक्ष दिखाइदेती है,इसवास्ते श्रीकल्पसूत्र का पाठ अक्षर अक्षर सत्य है, परंतु जेठमल्ल ढुंढक के कथनानुसार श्रीकल्पसूत्र में ऐसे नहीं लिखा है कि गुरु बिना का एक मुख बंधों का पंथं निकलेगा जिसका आचार व्यवहार श्रीजैनमत के सिद्धांतों से विपरीत होगा उस पंथ वाले की पूजा होगी और तिसका चलाया दयोमार्ग दीपेगा ! इसवास्ते जेठमल्ल का कथन सत्यका प्रति पक्षी है। लौकिक दृष्टांत भी देखो (१) जिस आदमी को रोग होया हो उस रोगकी स्थिति के परिपक्क हुए रोग के नाश होने पर वोही आदमी निरोगी होवे या दूसरा ? (२) जिस स्त्री को गर्भ रहा हो गर्भ की स्थिति परिपूर्ण हुए वोही स्त्री पुत्र प्रसूत करे या दूसरी? (३)जिस बालक की कुड़माई (मांगनी) हुई हो विवाह के वक्त वोही बालक पाणिग्रहण करे या दूसरा? इन हष्टातों मंजिब भस्मग्रह के प्रभाव सें जिन साधु साध्वी की उदय उदय पूजा नहींहोती थी,भस्मग्रह के उतरे बाद तिनकी ही उदय उदय पूजा होती है, परंतु ढुंढक पहिले नहीं थे कि, भस्मग्रह के उतरे बाद तिनकी उदय उदय पूजा होवे इस वास्ते जेठमल्ल का लिखना सत्य नहीं है ॥ .. .. तथा श्रीवग्गचूलिया सूत्रमें कहा हे किबाईस(२२) गोठिल्ले पुरुष काल करके संसार में नीच गति में और बहुत नीच कुल में
SR No.010466
Book TitleSamyaktva Shalyoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1903
Total Pages271
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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