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________________ इक्यावान वां बोल-२२५ नहीं करते, अर्थात् कहने के अनुसार कार्य नहीं करते । मानो, वे यह सोचते हैं कि उच्चार के पश्चात् आचार की आवश्यकता ही क्या है ! परन्तु शास्त्र कहता है कि वाणी के अनुसार कार्य न करने का कारण करणसत्य का प्रभाव ही है । जिसमें करणसत्य होगा वही व्यक्ति चार को आचार मे उतारेगा । जो व्यक्ति जैसा बोलता है वैसा ही आचरण करता है, वही व्यक्ति लोक मे प्रशसा का पात्र बनता है । अरब देश के विषय में कहा जाता है कि वहा के लोग बहुत कम झूठ बोलते हैं । यह उन लोगो के लिए प्रशसा की बात है, मगर भारतवासी कैसा बोलते हैं, इस बात का विचार कगे । भारतीय झूठ तो नही बोलते ? अगर कहा जाये कि भारत मे झूठ बोले बिना काम नही चलता, इस कारण झूठ बोलना पड़ता है तो इसका उत्तर यह है कि वास्तव मे सत्य बोले बिना काम नहीं चल सकता । उदाहरणार्थ - किसी आदमी को खूब भूख लगो है। वह झूठ बोलता है । कहता है-'मुझे भूख नही लगी।' ऐसी दशा मे क्या उसका काम चल सकेगा ? उसका भूख का दुख दूर हो सकेगा ? अगर यह कहा जाये कि ऐसी जगह झूठ बोलने से काम नही चल सकता तो इसका अर्थ यह हुया कि भोले लोगो को ठगने के लिए झूठ बोले बिना काम नहीं चल सकता । लोग समझ बैठे हैं कि हम झूठ बोलकर चाहे जिस तरह ठगें । हमे कौन देखता है ? पर शास्त्रकार कहते हैंदूसरा कोई देखे या न देखे, पर तुम्हारा खुद का आत्मा और परमात्मा तो देखता है। अगर तुम परमात्मा को और अपने आत्मा को प्रसन्न करना चाहते हो तो जैसा कहते हो वैसा
SR No.010465
Book TitleSamyaktva Parakram 04 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Acharya, Shobhachad Bharilla
PublisherJawahar Sahitya Samiti Bhinasar
Publication Year1973
Total Pages415
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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