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________________ पच्चीसवां बोल साधी जा सकेगी। मन को वश में करने के लिए वैराग्य भी एक उपा है । इन्द्रियो का समूह बलवान होने के कारण मन को अपनी ओर खीचता रहता है । अत पदार्थों के प्रति विरक्तिभाव रखना उचित है । विरक्ति होने से इन्द्रियाँ उन पदार्थों की ओर नही खिचेगो और तब मन भी उनकी ओर नही ज एगा और स्थिर रहेगा । वस्तु के वास्तविक स्वरूप का विचार करके उसके प्रति वैराग्य रखना चाहिए। वैराग्य धारण करने से मन भी स्थिर रहेगा । वस्तु के असली स्वरूप का विचार न करने के कारण ही वस्तु के प्रति राग-द्वेष की उत्पत्ति होती है । वस्तु का वास्तविक स्वरूप विचारा जाये तो वैराग्य पैदा हुए बिना नही रह सकता और मन भी वश मे किया जा सकता है । इस प्रकार मन को वश मे करने का और एकाग्र करने का उपाय अभ्यास ओर वैराग्य है । अभ्यास और वैराग्य से ही मन पर काबू किया जा सकता है । लोगो को रुपये के प्रति बहुत ममता है । मगर रुपया क्या है, किस प्रकार प्राप्त किया जाता है और रुपये के प्रचलन से समाज और देश को आन्तरिक स्थिति को कितनी अधिक हानि पहुची है, इन बातो पर पूरा विचार किया जाये तो रुपये के प्रति वैराग्य उत्पन्न हुए बिना नही रहेगा । सिक्के का जितना अधिक प्रचार हुआ, उतने ही अधिक अनर्थ बढ़े हैं । सिक्कें के लिए ही पशुवध किया जाता है । फक्का का घातक प्रयोग करके गाय के आचल मे से दूध काढने का पापपूर्ण कार्य भी रुपये के लिए ही
SR No.010464
Book TitleSamyaktva Parakram 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Acharya, Shobhachad Bharilla
PublisherJawahar Sahitya Samiti Bhinasar
Publication Year1972
Total Pages259
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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