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________________ १८०-सम्यक्त्वपराक्रम (३) ऐतिहासिक उदाहरण दिया जाता है । जिस समय की बात कह रहा हू, उस समय भारत मे अगरेजी राज्य फैल गया था। उस समय रामचन्द्र नामक एक सिख गुरु सत्य का उपदेश देकर धर्मप्रचार कर रहा था। सत्य का पालन करो, बस यही उसके उपदेश का मूल मत्र था । अपने मन को न ठगना ही सत्य है ऐसा वह अपने उपदेश मे कहता था । रामचन्द्र गुरु के इस उपदेश की जनसमाज पर अच्छी छाप पडी और बहुत-से लोगो ने सत्य का पालन करने की प्रतिज्ञा ली । सत्यपालन की प्रतिज्ञा लेने वालो मे कूका नामक एक जाट भी था । वह जाट भी रामचन्द्र का शिष्य बन गया और सत्य बोलने का अभ्यास करने लगा। उन दिनो अम्बाला मे हिन्दुओ को सताने के लिए मुसलमानों ने गायो को कत्ल करना आरम्भ किया । मुसलमानो ने विचार किया- इस समय अगरेजो का राज्य है, इस कारण कोई किसी के घम मे विक्षेप नही कर सकता। प्रत्येक मनुष्य अपना अपना धर्म पालने मे स्वतन्त्र है । इस प्रकार विचार कर उन मुसलमानो ने गायो का एक जुलूस निकाला और उन्हे कत्ल करने के लिए नियत स्थान पर ले गए । हिन्दुओ ने ऐसा दुष्कृ य न करने के लिए उन्हे वहुत समझाया पर उन्होने एक न सुनी। तव कुछ हिन्दुओ ने विचार किया कि समझाने-बुझाने पर भी गायो को कत्ल करने वाले यह मुसलमान अपनी करतूत से बाज नही आते, ऐसी हालत में रात्रि के समय इन्हें मार डालना चाहिए । कूका जाट ने और दूसरे हिन्दुओ ने रात के समय उन पर हमला कर दिया और निद्रावस्था मे ही उन्हे मार
SR No.010464
Book TitleSamyaktva Parakram 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Acharya, Shobhachad Bharilla
PublisherJawahar Sahitya Samiti Bhinasar
Publication Year1972
Total Pages259
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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