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________________ प्रकाशकीय -- श्री उत्तराध्ययनसूत्र के सम्यक्त्वेपराक्रम नामक २६व अध्ययन के ७३ बोलो पर पूज्य आचार्य श्री श्री १००८ श्री जवाहरलाल जी म सा के प्रवचनो मे से पहले भाग मे प्रथम चार बोलो के प्रवचन प्रकाशित हो चुके हैं । इस किरण मे पाचवे से लेकर बीसवें बोल तक के प्रवचन प्रकाशित किये जा रहे हैं। पूज्य आचार्य श्री जी म. सा. ने आध्यात्मिक और नैतिक उत्थान मे सहकारी सिद्धान्तो का विवेचन और जीवनस्पर्शी समस्याओ का समाधान बहुत ही सरल और सुबोध भाषा मे किया है । इसीलिये समय के बदल जाने पर भी आचार्य श्री जी के प्रवचनो की नूतनता आज भी जन-साधारण को अपनी ही बात मालूम पडती है। इसीलिये जवाहर किरणावली के रूप में प्रकाशित प्राचार्य श्री जी के प्रवचनसाहित्य को पढने का इच्छुक पाठको का एक बहुत बडा समूह है । उनकी प्रेरणा और आकाक्षा को ध्यान में रखते हुए सम्यक्त्वपराक्रम-द्वितीय भाग के रूप मे यह नौवी किरण का द्वितीय सस्करण प्रकाशित किया गया है । आशा है पाठको की आकाक्षापूर्ति के लिये हमारे द्वारा किये जाने वाले प्रयासो की सराहना की जायेगी । अभी तक अनेक अनुपलब्ध किरणावलिया पुन प्रकाशित हो चुकी हैं और शेष रही हुई किरणें भी सुविधानुसार यथाशीघ्र प्रकाशित की जायेगी।
SR No.010463
Book TitleSamyaktva Parakram 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Acharya, Shobhachad Bharilla
PublisherJawahar Sahitya Samiti Bhinasar
Publication Year1972
Total Pages307
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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