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________________ १४०-सम्यक्त्वपराक्रम (२) लेना आवश्यक है कि वह वस्तु शरीर को टिकाये रखने के लिए आवश्यक है या केवल जिह्वालोलुपता का पोषण करने के लिए ही उसका उपयोग किया जा रहा है ? जो पदार्थ देखने में और स्वाद मे प्रिय लगते हैं, उनका उपयोग तो आप करते है, मगर यदि पदार्थ के गुण-अवगुण का विचार करके उसका उपयोग किया जाये तो दवा लेने को आवश्यकता ही न रहे । लेकिन लोग पदार्थ के गुणो का विचार नही करते और कहने लगते है कि हमारे घर मे दवा है। उस पदार्थ ने हानि पहुँचाई तो दवा लेकर अच्छे हो जाएंगे। इस प्रकार दवा पर निर्भर रहकर लोग वस्तु के गुणो पर विचार नहीं करते । जो लोग गुणो पर विचार करते है वे पाप से भी बच सकते हैं आर रोग मे भी बच सकते है। किसी भी वस्तु को केवल स्वाद को दृष्टि मे ही मत अपनाओ, उसके गुणो और दोषो का विचार करना आवश्यक है। मछली को कॉटे में लगा मास अच्छा लगता है, परन्तु वास्तव मे वह मास उसके खाने की वस्तु है या उसको मृत्यु का उपाय है ? आप मछली को उपदेश देने के लिए तैयार हो सकते है मगर मछली मे उपदेश ग्रहण करने की शक्ति ही नही है । लेकिन जरा अपनी ओर देखो। आप जानतेझते मछली जैसा, सोचे-समझे बिना काम कर बैठते हैं और स्वाद के वश होकर ऐसे पदार्थों का उपयोग करते हैं, जिनमे इहलोक और परलोक -दोनो विगडते हैं।। आप में से अधिकाश लोग चाय पीते है । चाय पीने से होने वाली हानियो को जानते हुए भी आप चाय को प्रिय , - वस्तु मानते है और उसका-त्याग नही कर सकते । इतना
SR No.010463
Book TitleSamyaktva Parakram 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Acharya, Shobhachad Bharilla
PublisherJawahar Sahitya Samiti Bhinasar
Publication Year1972
Total Pages307
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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