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________________ ६४-सम्यक्त्वपराक्रम (२) शब्दार्थ प्रश्न-भगवन् । सामायिक से जीव को क्या लाभ होता है ? उत्तर - सामायिक करने से सावध योग से निवृत्ति होती है। व्याख्यान यहां सक्षेप मे सामायिक का फल बतलाया गया है। अन्य ग्रन्थो मे इसका बहुत कुछ विस्तार भी पाया जाता है । विशेपावश्यक भाष्य मे सामायिक के विषय में बारह हजार श्लोक लिखे गये हैं । सामायिक समस्त धर्मक्रियाओ का आधार है । जैसे आकाश सभी के लिए आधारभूत है, चाहे कोई गृह बनाकर गृहाकाश कहे या मठ बनाकर मठाकाश कहे, मगर आकाश है सब के लिए आधारभूत , इसी प्रकार सामायिक भी समस्त धार्मिक गुणो का आधार है। सामायिक आधार है और दूसरे गुण सव आधेय हैं। आधार के विना आधय टिक नही सकता । इस नियम के अनुसार सामायिक के अभाव मे अन्य गुण भी नही टिक सकते । जैसे पृथ्वी के आधार विना कोई वस्तु नही टिक सकती और आकाश के आधार विना पृथ्वी नहीं टिक सकती, इसी प्रकार सामायिक का प्राश्रय पाये बिना दूसरे गुण नही टिकते । ___'सम' और 'आय' इन दो गव्दो के सयोग से 'सामायिक' शब्द वना है। अर्थात समभाव का आना ही सामायिक है । अपनी आत्मा जिस दष्टि से देखी जाती है, उसी दृष्टि से दूसरो को जात्मा को देखना समभाव कहलाता है।
SR No.010463
Book TitleSamyaktva Parakram 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Acharya, Shobhachad Bharilla
PublisherJawahar Sahitya Samiti Bhinasar
Publication Year1972
Total Pages307
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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