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________________ के रूप में प्रकाशित हो चुके हैं। यहां उन व्याख्यानो मे से सिर्फ सम्यक्त्वपराक्रम अध्ययन लिया गया है, जिससे विषय का प्रवाह खंडित होता हुआ न मालूम हो । ये व्याख्यान पाच भागो मे पूर्ण हुए है। सम्यक्त्वपराक्रम अध्ययन के ७३ बोलो में से इम पहले भाग मे सिर्फ चार बोल ही आ सके हैं और शेष बोलो के व्याख्यान आगे के दो से पाच भागो मे' प्रकाशित हैं । श्री हितेच्छु श्रावक मडल रतलाम और श्री महावीर ज्ञानोदय सोमाइटी राजकोट के सहयोग से इन व्याख्यानों का पहला संस्करण समिति द्वारा प्रकाशित किया गया था। जिसके समाप्त हो जाने और तत्त्व-जिज्ञासु पाठको के अाग्रह को ध्यान में रखते हुए यह दूसरा संस्करण प्रकाशित किया जा रहा है। जवाहर किरणावली की अनुपलब्ध किरणो के प्रकाशन मे श्री अखिल भारतवर्षीय साधुमार्गी जैन संघ और सघ द्वारा सचालित जैन श्रार्ट प्रेस का सहयोग प्राप्त है। एतदर्थ समिति की ओर से संघ का सधन्यवाद आभार मानते हैं। निवेदक चंपालाल बांठिया मन्त्री-श्री जवाहर साहित्य समिति भीनासर (बीकानेर-राजस्थान)
SR No.010462
Book TitleSamyaktva Parakram 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Acharya, Shobhachad Bharilla
PublisherJawahar Sahitya Samiti Bhinasar
Publication Year1972
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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