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________________ २०२ - सम्यक्त्वपराक्रम (१) थे । लेकिन आज कितने माँ-बाप ऐसे है जो अपने कर्त्तव्य का पूरी तरह पालन करते हैं ? पहले के लोग अपनी सतान को, जीवन की आवश्यकताएँ पूर्ण करने के लिए, बहत्तर कलाएँ सिखलाते थे । मगर आज कितने लोग है जो अपने ही जीवन की आवश्यकताएँ पूर्ण कर सकते हैं ? आज मोटर मे बैठकर मटरगस्त करने वाले तो है मगर ऐसे कितने हैं जो स्वय मोटर बना सकते हो या मोटर सुधार भी सकते हो ? जो मनुष्य स्वय किसी चीज का बनाना नही जानता, वह उसके लिए पराधीन है आप भोजन करते हैं पर क्या भोजन बनाना भी जानते है ? अगर नही जानते तो क्या आप पराधीन नही हैं ? पहले वहत्तर कलाएँ सिखलाई जाती थी, उनमें अन्नकला भी थी । अन्नकला के अन्तर्गत यह भी सिखलाया जाता था कि अन्न किस प्रकार पकाना और खाना चाहिए । ? 'लोग कहते हैं कि जैनशास्त्र सिर्फ त्याग ही बतलाता है, लेकिन जैनशास्त्र का गम्भीर अध्ययन किया जाये तो स्पष्ट दिखाई देगा कि जैनशास्त्र जीवन को दुखी नही वरन् सुखी बनाने का राजमार्ग प्रदर्शित करता है । जैनशास्त्र वतलाता है कि जीवन किस प्रकार सांस्कारिक और सुखमय बनाया जा सकता है और किस प्रकार आत्मकल्याणसावन किया जा सकता है ११ समुद्रपाल युवक हुआ । पालित ने योग्य कन्या के साथ उसका विवाह कराया । आज के लोग अपनी सतान का विवाह छुटपन मे गुडिया - गुड्डा को भाति करा देते हैं । वृद्धविवाह को अपेक्षा भी बालविवाह को मैं अधिक
SR No.010462
Book TitleSamyaktva Parakram 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Acharya, Shobhachad Bharilla
PublisherJawahar Sahitya Samiti Bhinasar
Publication Year1972
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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