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________________ पहला बोल-१३६ द्वारा तात्कालिक फल की आशा रखते हैं। उनका कथन है कि धर्म का फल तत्काल मिल जाये तब तो ठीक है, अन्यथा कौन जाने परलोक मे फल मिलेगा या नही ? इस प्रकार धर्म पर अविश्वास रखने से फल की हानि होती है। धर्म का फल भले ही परपरा से मिले किन्तु उसका फल अवश्य मिलता ही है। किसी की भूख भोजन का एक ही कौर खाने से नहीं मिट जाती । पहले कौर से भोजन के प्रति रुचि उत्पन्न होती है और भोजन के कौर से मेरी भूख मिट जायेगी, ऐसा विश्वास पैदा होता है। ऐसे विश्वास के साथ ही आगे भोजन किया जाता है और इसी प्रकार भूख गात हो जाती है । यही बात धर्म के विषय मे है। धर्म के नीतिरूपी कौर से यत्किंचित् जीवनशान्ति की भूख शान्त होती है तो धर्म का पालन करने से आत्मसतोष भी होगा और जीवन की शान्ति भी प्राप्त होगी। धर्म का पहला कौर नीति है। अगर नीति के पालन से शान्ति मिलती है तो धर्म को जीवन में अधिक स्थान देना चाहिये और नीतिमय जीवन के साथ धर्ममय जीवन भी बनाना चाहिए ।
SR No.010462
Book TitleSamyaktva Parakram 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Acharya, Shobhachad Bharilla
PublisherJawahar Sahitya Samiti Bhinasar
Publication Year1972
Total Pages275
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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