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लेग्या]
[३८१ जैसी सुन्दर गन्ध केवडा आदि सुगन्धित पुष्पो की अथवा सुगन्धयुक्त पिसे हुए चन्दनादि पदार्थों की होती है, उससे भी अनन्तगुण. अधिक सुन्दर गन्ध तीनो प्रशस्त लेश्याओ की होती है। जह करगयस्स फासो, गोजिमाए य सागपत्ताणं । एत्तो वि अणंतगुणो, लेसाणं अप्पसत्थाणं ॥१६॥ जह बूरस्स न फासो, नवणीयस्स व सिरीसकुसुमाणं । एत्तो वि अणंतगुणो, पसत्थलेसाण तिण्हं पि॥१७॥
[उत्त० भ० ३४, गा० १८-१६ ] __ जैसा कर्कश स्पर्ण आरा, गाय की जीभ और सागौन के पत्तो का होता है, उनसे अनन्त गुण अधिक कर्कश स्पर्श अप्रशस्त लेश्याओ का होता है।
जैसा कोमल स्पर्श बूर ( वनस्पतिविशेष ), मक्खन और सिरस के पुष्पो का होता है, उनसे अनन्त गुण अधिक कोमल स्पर्श तीनो प्रशस्त लेश्याओ का होता है।
पंचासवप्पवत्तो, तीहिं अगुत्तो छसुं अविरयो य । तिवारंभपरिणओ, खुद्दो साहसिओ नरो ॥१८॥ निद्धंसपरिणामो, निस्संसो अजिइंदियो। एयजोगसमाउत्तो, किण्हलेसं तु परिणमे ॥१६॥
[उत्त० अ० ३४, गा० २१-२२ ] पाँचों आस्रवो मे प्रवृत्त, तीनो गुप्तिओ से अगुप्त, पड्काय की हिंसा मे आसक्त, उत्कट भावो से हिंसा करनेवाला, क्षुद्रबुद्धि, बिना