________________
धारा : ३१:
ब्राह्मण किसे कहा जाय ? जो न सज्जइ आगन्तं, पन्वयन्तो न सोई। रमइ अज्जवयणम्मि, तं वयं बूम माहणं ॥१॥
जो मनुष्य-जन्म लेकर स्वजनादि मे आसक्त नही रहता और उनसे दूर रहने पर शोक नही करता तथा सदा आर्य-वचनो मे ही रमण करता है, उसको हम 'ब्राह्मण' कहते हैं।
जायरूवं जहामहूं, निद्धन्तमलयावर्ग। राग-दोस-भयाईयं, तं वयं बूम माहणं ॥२॥ जो अग्नि के द्वारा शुद्ध किया हुआ स्वर्ण के समान तेजस्वी और शुद्ध है, तथा राग, द्वेष एवं भय से रहित है, उसको हम ब्राह्मण कहते है।
तवस्सियं किसं दन्तं, अवचियमंससोणियं । सुवयं पत्तनिव्वाणं, तं वयं बूम माहणं ॥३॥
जो तपस्वी, कृश और इन्द्रियो का दमन करनेवाला है, जिसके शरीर मे मास और रुधिर कम हो गया है, जो व्रतशील है और