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________________ (६) लक्ष्मणसूरीश्वरजी महाराज, पू० आ० श्री विजय समुद्रसूरीश्वरजी महाराज, पू० पन्यास श्री धुरन्धरविजयजी गणिवर्य, पू० पन्यास श्री भानुविजयजी गणिवर्य, पू० मुमुक्षु श्री भव्यानन्दविजयजी महाराज, बम्बई-निवासी श्री रमणिकचद मोतीचंद झवेरी और श्री अभयराज बलदोटा, लडन-निवासी श्री मेघजी पथराज शाह, श्री आत्मानन्द जैन 'महासभा पजाब के प्रधान मत्री प्रो० पृथ्वीराज जैन एम० ए०, कलकत्ता"निवासी श्री मोहनलाल झवेरी, श्री रजनीकान्त शाह, श्री छोटेलाल 'जैन, श्री ताजमलजी बोथरा, श्री भंवरलालजी नाहटा, श्री कुवरजी माणकेजी और कई मित्रो तथा प्रशसकों ने इस प्रकाशन मे हार्दिकता दिखलाई है, इन सभी के हम अत्यन्त आभारी है। कलकत्ता-जैन सभा ने तो इस प्रकाशन को अपना ही मान कर विशिष्ट प्रकाशन समारोह की योजना की, और वितरण आदि में भी सुन्दर सहयोग दिया। उसके प्रधान कार्यकर्ता श्री नवरतनमलजी सुराणा, श्री लाभचन्दजी रायसुराणा, श्री दीपचन्दजी नाहटा, श्री केवलचदजी नाहटा, श्री पन्नालालजी नाहटा आदि को हम कैसे भूले ? हम आशा रखते है कि हिन्दी भाषा-भाषी जनता इस सस्करण को अपना कर हमें प्रोत्साहित करेगी। ता० ६-७-६३ नरेन्द्रकुमार शाह प्रकाशक
SR No.010459
Book TitleMahavira Vachanamruta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Shah, Rudradev Tripathi
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1963
Total Pages463
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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